मप्र विधानसभा चुनाव: बागी न ​उजाड़ दें सपनों की बगिया, डैमेज कंट्रोल में जुटे ये दल

मध्यप्रदेश में जैसे जैसे मौसम में ठंडक घुल रही है वैसे वैसे विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों का नाम तय होने के बाद दोनों ही दलों में बगावत थमने का नाम नहीं ले रही है। बगावत की ये लपटे अब भोपाल तक पहुंच गईं हैं।। पिछले कई दिनों से भाजपा और कांग्रेस दफ्तर में टिकट कटने के बाद हंगामा जारी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक जैसी ही स्थिति है। हालांकि दोनों दलों के रणनीतिकारों को विश्वास है कि नाम वापसी 2 नवंबर तक हालात काबू में आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं होने की ​स्थिति में बागी कहीं सत्ता के सपनों को बिखेर न दें।

कुछ सीटों पर बागियों ने अपने-अपने दलों से लोहा लेने की तैयारी तेज कर दी है। पुराना दल छोड़कर नए दल का दामन थाम लिया गया है तो कुछ निर्दलीय ही चुनावी अखाड़े में उतर गए हैं। एमपी में कांग्रेस को करीब 47 और बीजेपी करीब 28 विधानसभा सीटों पर नाराज नेताओं के विरोध और बगावत का सामना करना पड़ रहा है। दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता भी विरोध से अछूते नहीं हैं। बात करेंगे ग्वालियर चंबल अंचल की। जहां सिंधिया समर्थक मुन्ना लाल गोयल को टिकट नहीं मिला है। ऐसे में उनके समर्थक नारेबाजी करते हुए जयविलास पैलेस तक पहुंच गए। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समझाइश दी तो वे मान गए और उनके समर्थक वहां से हटे। इधर कांग्रेस के विधायक मुरली मोरवाल का टिकट कटा जो उनके समर्थक भोपाल में पीसीसी तक पहुंच गए और कमलनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी।वहीं बुरहानपुर में टिकट न मिलने के बाद नंदकुमार सिंह चौहान नंदू भैया के बेटे ने शक्ति प्रदर्शन तक किया।

मैदान में बीजेपी के आधा दर्जन बागी

बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची में चाचौड़ा विधानसभा से प्रियंका मीणा का नाम घोषित किया था। उनको उम्मीदवार बनाया तो पूर्व विधायक ममता मीणा बागी बन मैदान में उतर गईं। उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और वे चुनाव लड़ रही हैं। इसी तरह बीजेपी की ओर से रसाल सिंह को इस बार लहार सीट से टिकट नहीं दिया तो वे नाराज हो गए। चार दशक से लहार सीट कांग्रेस के कब्जे में है। इसके बाद रसाल सिंह बगावत पर उतर आए। उन्होंने पाला बदला और बीएसपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। वहीं भिंड से बीजेपी के विधायक रहे संजीव कुशवाह को टिकट नहीं मिला। उनका टिकट कटा तो उन्होंने भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

भाजपा के रुस्तम अब हाथी पर सवार

वहीं पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह की बात करें तो मुरैना से उन्हें भी बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है। इसके बाद वे बगावत करते हुए बीएसपी में शामिल हो गए। बीएसपी ने उन्हें स्टार प्रचारक का दर्जा दिया है साथ ही चुनाव लड़ने की भी उन्होंने घोषणा कर दी है। सतना जिले की रैगांव सीट की बात करें तो बीजेपी ने प्रतिमा बागरी को मैदान में उतारा है। ऐसे में नाराज पुष्पराज बागरी ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उधर सीधी में भी यही हालात हैं। बीजेपी ने रीति पाठक को उम्मीदवार बनाया तो केदारनाथ शुक्ला खफा हो गए। शुक्ला भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं।

पांच सीट पर कांग्रेस को भारी पड़ेगी बगावत

कांग्रेस की बात करें तो उसे पांच सीट पर बागियों से टक्कर मिल रही है। सुमावली सीट से विधायक अजब सिंह कुशवाह को टिकट नहीं देने पर वे कांग्रेस छोड़कर मैदान में आ गए हैं। अजब सिंह ने पार्टी छोड़ और बीएसपी में शामिल हो गए। वे भी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उधर धार के धरमपुरी में भी बगावत बढ़ती नजर आ रही है। पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह टिकट न मिलने से नाराज है औ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं भोपाल की उत्तर सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के बेटे को कांग्रेस ने टिकट दिया है। इसके बाद वहां भी स्थानीय नेताओं में बगावत देखी जा रही है। कांग्रेस का झंडा उठाने वाले नेता नासिर इस्लाम ने अब चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।

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