मिशन मून:बस कुछ ही वक्त बाकी जब चांद के दक्षिण धुव्र पर लहरायेगा तिरंगा, चंद्रयान- 3 पर दुनिया भर की नजर

भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम आज बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। रैंप खुल जाएगा और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर आ जाएगा। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की और प्रज्ञान विक्रम की तस्वीर लेगा। ये तस्वीरें धरती पर भेजी जाएंगी। अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश होगा।

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत दुनिया के चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होने जा रहा है। यही नहीं हम यह विश्वास भी अर्जित कर सकते हैं कि दूसरे ग्रहों पर भी यह कार्य बखूबी किया जा सकता है। भारतीय वैज्ञानिक कहते हैं कि पहला काम चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इसका रोवर उतरने के बाद चांद पर मूव कर सकेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार चंद्रयान-3 आज बुधवार भारतीय समयानुसार लगभग 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग के बारे में कहा था- अगर सब कुछ विफल हो जाता है, अगर सभी सेंसर विफल हो जाते हैं। कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) उतरेगा। बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन भी फेल हो जाएं तो भी यह लैंडिंग करने में सक्षम रहेगा।

वैज्ञानिकों के पास तैयार है बैकअप का भी बैकअप प्लान

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि हमें विश्वास है कि यह एक सफल मिशन होगा। उन्होंने कहा हम सब पूरी तरह से तैयार हैं। पिछले चार साल से तैयारी की जा रही थी, ये एक छोटा समय नहीं है। हमने इसका हर हिस्सा अपने मिशन को बेहतर बनाने के साथ बैकअप प्लान तैयार करने में भी लगाया। उन्होंने कहा कि इसरो ने बैकअप प्लान का भी बैकअप तैयार कर लिया है। इस मिशन में अब तक जो कुछ हुआ है वह हमारी योजना के अनुसार ही हुआ है। सिस्टम का कई स्तर पर सत्यापन किया गया इसके बाद लैंडिंग की तैयारी की है इतना ही नहीं लैंडर की सेहत भी बिल्कुल ठीक है।

पुरानी गलतियों से इसरो ने लिया सबक

पिछली बार चंद्रयान-2 असफल हो गया था। इससे मिले सबक पर इसरो प्रमुख सोमनाथ का कहना है चंद्रयान-2 के समय अंतिम चरण तक सबकुछ ठीक-ठाक था, लेकिन हम सॉफ्ट लैंडिंग कराने में हम कामयाब नहीं हो सके। हम अधिक स्पीड से उतरे, जिससे हम असफल रहे। चंद्रयान-2 के दौरान एक गलती यह थी कि हमने लैंडिंग स्थल को 500 मीटर x 500 मीटर के सीमित क्षेत्र में रखा था। चंद्रयान 3 से पहले हमने कुछ कमियां पता कर ली थीं। जिनका सामना यान को करना पड़ रहा था। ऐसे में हमने उसका समाधान किया। तब उतरते समय लैंडर मॉड्यूल नियंत्रण से बाहर हो गया था। लेकिन इस बार बेहतर तरीके से तैयारी की गई है। पिछली गलतियों से सबक सीखा है। गलतियों को सुधार लिया गया है।

लाइव इवेंट में वर्चुअली जुड़ेंगे पीएम मोदी

लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम करीब सवा 5 बजे शुरू होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली जुड़ेंगे। बता दें पीएम वह दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर हैं। इसलिए वह वर्चुअली शामिल हो रहे हैं।

मिशन की सफलता के लिए हवन पूजन

वहीं, मिशन की सफलता के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जगह-जगह पूजा-पाठ और हवन किए जा रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका तक चंद्रयान-3 की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए विशेष अनुष्ठान, प्रार्थनाएं और समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। चंद्रयान-3 के अभूतपूर्व मिशन की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए पूरे भारत में विभिन्न धर्मों से जुड़े धार्मिक समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। दुनिया भर में प्रार्थनाएं गूंज रही हैं, क्योंकि विभिन्न धार्मिक संबद्धताओं के लोग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत के चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग के लिए एकजुट हो रहे हैं। धार्मिक सीमाओं के बावजूद, लोग चंद्रयान-3 मिशन को अपना समर्थन देने के लिए एक साथ आ रहे हैं। एकजुटता का यह प्रदर्शन दुनिया भर में फैल रहा है, लोग इसकी सफलता को बढ़ावा देने के लिए प्रार्थनाओं में भाग ले रहे हैं, धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं और विविध अनुष्ठानों में शामिल हो रहे हैं।

ऋषिकेश में की गई गंगा आरती

भारत के चंद्र मिशन की सफलता के लिए ऋषिकेश में गंगा आरती की गई। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन घाट पर हाथों में तिरंगा लेकर गंगा आरती की गई। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन घाट पर हाथों में तिरंगा लेकर विशेष गंगा आरती की गई। आरती से पहले घाट पर श्रद्धालुओं ने चंद्रयान 3 की सफलता के लिए हवन पूजन किया। इस मौके पर प्रमुख आध्यात्मिक नेता स्वामी चिदानंद मुनि ने परमार्थ निकेतन घाट पर हवन पूजन और आरती का नेतृत्व किया। जहां भक्त मिशन की जीत के लिए दैवीय हस्तक्षेप की मांग करने के लिए एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि वेदों से लेकर विज्ञान तक हमारे देश का लोहा दुनिया मान रही है और उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत दक्षिणी ध्रुव पर अपना परचम लहराएगा।

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