Mayawati on Ramcharitmanas: जो बवाल बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के एक बयान से शुरू हुआ, वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यादव के बाद सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर विवादित बयान दिया। इसके बाद से ही सपा नेता का लगातार विरोध हो रहा है, यहां तक कि सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने भी उनके बयान को व्यक्तिगत बता दिया है। इस बीच स्वामी रामभद्राचार्य ने सपा नेता स्वामीप्रसाद मौर्य को सठियाया हुआ धूमकेतु और मूर्ख बताते हुए कहा है कि वह उनसे औऱ चंद्रशेखर से किसी भी चौपाई और दोहे पर बात करने को तैयार हैं।
- सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) मुखर तौर पर सपा नेता का विरोध कर रहे हैं
- मौर्य के समर्थन में जिन लोगों ने रामचरितमानस फाड़ी और जलाई, अधिकतर गिरफ्तार हैं
- अन्य विपक्षी दल भी सपा का विरोध कर रहे हैं
- बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी रामचरितमानस प्रकरण को लेकर सपा पर तीखा हमला बोला है
- मायावती ने कहा है कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का आदि ग्रंथ रामचरितमानस व मनुस्मृति नहीं बल्कि भारतीय संविधान है
- मायावती ने याद दिलाया कि भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है, अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे
इतिहास के पन्ने पलटे मायावती ने
मायावती ने एक के बाद एक लगातार चार ट्वीट किए और सपा प्रमुख पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले लखनऊ गेस्ट हाउस के दो जून 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। देखना चाहिए कि जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार ने जानलेवा हमला कराया था। वैसे भी यह जगजाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के आत्म सम्मान एवं स्वाभिमान की कदर बीएसपी में ही थी’।
दूसरी पार्टियों पर भी बरसीं बहनजी
बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा कि देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय और इनके साथ नाइंसाफी हुई है। यही नहीं, इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार भी खूब हुए हैं और इस मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं है।
मायावती ने कहा है कि यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि बाकी राजनीतिक दल इनके वोटों की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।
क्या है मायावती का दांव
मायावती ने पहले रामचरितमानस पर मचे बवाल को ध्यान से ऑब्जर्व किया है और फिर प्रतिक्रिया दी है। शुरुआती दो-तीन दिनों तक वह चुप रही हैं। इसके बाद उन्होने हमला भी किया है, तो सपा और बीजेपी दोनों के ऊपर प्रहार किया है। इसके साथ ही वह इस बात का भी ध्यान रख रही हैं कि अखिलेश को उन मुद्दों पर घेरा जाए, जो बहुसंख्यक समाज के साथ ही शोषितों को अच्छी लगे। वह रामचरितमानस पर सीधा कुछ कहने से बच रही हैं।
मायावती की सबसे बड़ी चुनौती है अपने वोटर्स को बचाए रखने की। वह इसीलिए ऐसा कोई बयान नहीं देंगी जिससे उनका कोर वोटर छिटक कर सपा की तरफ जाए। इसीलिए, वह सपा को खलनायक के तौर पर पेश कर रही हैं।
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