72 साल बाद तीन शुभ योग में मनेगी महाशिवरात्रि

72 साल बाद तीन शुभ योग में मनेगी महाशिवरात्रि

शुभ योग में मनेगी महाशिवरात्रि

72 साल बाद तीन शुभ योग में मनेगी महाशिवरात्रि

संपूर्ण ब्रह्मांड के पालनहार, सर्वसिद्धि के दाता और अकाल मृत्यु के हर्ता भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष आठ मार्च को मनाया जाएगा…आपको बता दें कि महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है…जिसे उत्तर भारत में फाल्गुन मासिक शिवरात्रि यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है…जबकि दक्षिण भारत में यह माघ महीने में ही मना लिया जाता है….इस साल महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद 3 अद्भुत संयोग बन रहा है…शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग…साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है…जो मां लक्ष्मी को समर्पित है…इस महासंयोग में भगवान शिव की पूजा और आराधना काफी फलदायी होगा…

काशी में भोले बाबा बनेंगे बॉडी बिल्डर
काशी में शिवबरात की तैयारियां जोरों पर हैं…महाशिवरात्रि पर इस बार शिवबरात की अलग ही आभा दिखेगी…जहां 10 फीट के शेर और 14 फीट के नंदी पर भगवान शंकर और मां गौरी विराजेंगी…तो बाबा के गण वाद्ययंत्रों पर थिरकते और उनकी भक्ति में मगन होकर चलेंगे…वहीं शिवबरात में इस बार भोलेबाबा बॉडी बिल्डर के रूप में दिखेंगे तो मां पार्वती दुल्हन के रूप में दर्शन देंगी…जबकि एक झांकी में मां पार्वती शिवलिंग का अभिषेक करते भी दिखेंगी…हालांकि महाशिवरात्रि को देखते हुए शिव और मां पार्वती की प्रतिमाएं विभिन्न थीम पर बन रही हैं…जिनमें कुछ प्रतिमाएं शिव बरात में शामिल होंगी…तो कुछ मंदिरों में स्थापित की जाएंगी…वहीं खोजवां नंदी पर बाबा की प्रतिमा बैठी मुद्रा में 14 फीट की बन रही है…जिसकी कुल लंबाई 32 फीट है…प्रख्यात मूर्तिकार अभिजीत विश्वास ने बताया कि…महाशिवरात्रि पर पहली बार बाबा की इतनी लंबी प्रतिमा बन रही है…जो महावीर मंदिर भोजूबीर से निकलने वाली शिवबरात की शोभायात्रा में शामिल होगी…

कालभैरव मंदिर में बाल रूप में दिखेंगे बाबा और गौरा
बाबा कालभैरव मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और गौरा की भी झांकी सजाई जाएगी…मगर पहली बार बाबा और माता पार्वती को बालरूप में दिखाया जाएगा… बाबा और मां पार्वती के बाल रूप से प्रतिमा पहली बार बन रही है। इससे पहले इस तरह की माता सरस्वती की प्रतिमा बनी थी।

 

राशि के अनुसार करें पूजन

मेष: देशी गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर अभिषेक करें।
वृष: दही से अभिषेक। सफेद पुष्प, फल और वस्त्र चढ़ाएं।
मिथुन: गन्ने के रस से रुद्राभिषेक। धतूरा, हरा पुष्प, भांग व हरा फल चढ़ाएं।
कर्क: दूध में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक। सफेद वस्त्र, मिष्ठान्न व मदार का पुष्प चढ़ाएं।
सिंह: मधु या तीर्थ मिश्रित गुड़ से अभिषेक। लाल पुष्प, वस्त्र और रोली अर्पित करें।
कन्या: गन्ने के रस से अभिषेक। भांग, धतूरा, मंदार का पत्र व पुष्प चढ़ाएं।
तुला: मधु से रुद्राभिषेक। भाग, मंदार पुष्प और सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
वृश्चिक: शहदयुक्त तीर्थजल से रुद्राभिषेक। लाल पुष्प, फल और मिष्ठान चढ़ाएं।
धनु: गाय के दूध में केसर मिलाकर रुद्राभिषेक। पीला वस्त्र, फल, भांग व धतूरा चढ़ाएं।
मकर: गंगाजल या शमी के रस से रुद्राभिषेक। शमी पत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।
कुंभ: दूर्वा या शमी के रस से रुद्राभिषेक। दूर्वा, शमी, मंदार पुष्प चढ़ाएं।
मीन: केसर मिश्रित दूध से अभिषेक। हल्दी, केला और पीला पुष्प, फल व मिष्ठान चढ़ाएं।

 

 

 

 

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