तीनों लोक घूमने के बाद शिव पार्वती इस मंदिर में करते हैं रात्रि विश्राम

12 ज्योतिर्लिगों में से एक है

 

आइए आपको बताते हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसमें आज भी बाबा भोलानाथ माता पार्वती के साथ चौपड़ खेलते है। मंदिर में शयन आरती के बाद यहां चौपड़ बिछायी जाती है गोटियां सजाई जाती है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती चौपड़ खेलते हैं।

ये मंदिर नर्मदा के किनारे बसा ओंमकारेश्वर । ये ज्योर्तिलिंग भी है। ये ज्योर्तिलिंग में नर्मदा नदी पर बने एक टापू पर है। इस टापू की खासियत है कि इस पर नर्मदा नदी पहाड़ियों के बीच ओम आकार मे बहती है।

कैसे पड़ा ओमकारेश्वर नाम

इसीलिए इस जगह का नाम ओंमकारेश्वर पड़ा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां के राजा माधाता ने तपस्या की जिससे खुश होकर भगवान शंकर साक्षात आए और यहां विराज गए। मान्यता है कि भोले बाबा दिन भर तीनों लोक में घूमते हैं और रात में विश्राम के लिए यही आते हैं। कहते है सोने के पहले भगवान शकंर और माता पर्वती चौपड़ खेलते हैं। सालों से मंदिर के पुजारी इस पंरपरा को निभाते आ रहे हैं। रात को शयन आरती के बाद चौपड़ सजा दिया जाता है और उसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाते है। इस दौरान मंदिर में कोई आता जाता नहीं है। किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं होती है । उसके बाद जब मंदिर के पट बर्महमूर्हत में खोले जाते हैं तब चौपड़ की गोटियां इस तरह से बिखरी होती है जैसे इन्हे खेला गया हो। मान्यता है कि ओंमकारेश्वर अकेला ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां शिव पार्वती रात्रि विश्राम करते हैं।

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