चुनाव आयोग के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुना दिया है। इस फैसले ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया है। अपने फैसले में उन्होंने शिवसेना प्रमुख के अधिकार पर ही सवाल उठा दिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शिवसेना के 1999 के संविधान के मुताबिक असली शिवसेना का फैसला किया गया।
- विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर के फैसले से नाखुश उद्धव गुट
- स्पीकर के फैसले से शिवसेना यूटीबी को बढ़ा झटका
- ‘उद्धव का नेतृत्व पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं’
- 16 विधायकों को अयोग्य करार देने से किया इनकार
उद्धव का नेतृत्व पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं है। एकनाथ शिंदे को पार्टी विधायक दल के नेता के पद से हटाने का अधिकाार उद्धव ठाकरे के पास नहीं था। शिंदे गुट की याचिका पर पहले सुनवाई करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि कौन असली शिवसेना है? इसका फैसला शिवसेना के संविधान और व्हिप के आधार पर किया गया है। इसके आधार पर ही अयोग्यता पर भी फैसला किया है। शिवसेना के संविधान पर दोनों पक्षों पर भरोसा जताया गया है। अध्यक्ष के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार पर खतरा टल गया है, वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिंदे समेत गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया है। करीब 12 सौ पेज के अपने फैसले के मुख्य बिंदुओं को सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा शिवसेना के 55 में से 37 विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास हैं। शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है।
चुनाव आयोग ने भी इसी गुट को बताया असली शिवसेना
अध्यक्ष ने कहा कि ये स्पष्ट हो गया है कि सुनील प्रभु को जब चीफ व्हिप नियुक्त किया गया था उस समय तक पार्टी का विभाजन हो चुका था। चुनाव आयोग ने भी इसी गुट को असली शिवसेना बताया है। बता दें महाराष्ट्र में करीब डेढ़ साल पहले शिवसेना में दो फाड़ हुई थी। इस बगावत के बाद शिवसेना के उद्धव गुट ने सीएम एकनाथ शिंदे सहित उनके गुट के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। कोर्ट ने इस मामले में फैसला विधानसभा स्पीकर पर छोड़ते हुए गेंद नार्वेकर के पाले में डाल दी थी। वहीं पिछले साल चुनाव आयोग ने फैसला शिंदे गुट के पक्ष में दिया था। आयोग की ओर से शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों उसे ही आवटित किया था। ऐसे में स्पीकर के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की स्थिति और मजबूत हो गई है।