मध्यप्रदेश के धार में स्थित भोजशाला मंदिर है या मस्जिद ? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए पिछले 98 दिन वैज्ञानिक सर्वे किया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने इससे जुड़ी रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी है।
साथ ही ये रिपोर्ट मीडिया से शेयर न करने के निर्देश भी सभी पक्षों को दिए गए।
- भोजशाला मंदिर या मस्जिद !
- एमपी हाईकोर्ट में दो हजार पन्नों की रिपोर्ट की पेश
- 94 मूर्तियां और शंख के साथ 1700 अवशेष
- भोजशाला में मिले हिंदू मंदिर के प्रमाण
- हिंदू पक्ष ने किया दावा
- ’94 से ज्यादा मूर्तियां मिलीं’
- मुस्लिम पक्ष बोला- सुप्रीम कोर्ट ही करेगा फैसला
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से वकील जोशी ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सर्वे और खुदाई के समय मिले करीब सत्रह सौ से अधिक प्रमाण और कुछ अवशेषों को भी दो हजार पेज की इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है। जिस पर हाईकोर्ट में 22 जुलाई 2024 को अब सुनवाई होगी।
हिंदू पक्ष का दावा 100% साबित हो रहा
वहीं हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में दावा किया कि ‘भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट के बाद हिंदू पक्ष का दावा 100 प्रतिशत सहीं साबित हो रहा है। यहां 94 आर्टिकल्स मिले है। इनमें टूटी मूर्तियां और शिलालेख हैं, संस्कृत के श्लोक हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि यहां मां वाग्देवी मंदिर ही था। धार्मिक शिक्षा भी दी जाती थी। अलग-अलग काल के करीब 30 सिक्के भी इस रिपोर्ट में शामिल हैं।
खुदाई में मिली परमारकालीन मूर्तियां
याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में यह कहा गया है कि सर्वे में जो मूर्तियां मिली हैं वो परमारकालीन हैं। हिंदू पक्ष की ओर से याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने हाईकोर्ट में यह दावा किया कि भोजशाला की इमारत राजाभोज के काल की है। जिसका निर्माण 1034 में किया गया था। अब एएसआई को अपने सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां भी मिलीं है। यह मूर्तियां परमारकालीन हो सकती हैं। क्योंकि इस तरह की इमारतें परमारकाल में बनाई जाती थीं।
मोहन जोदड़ो काल की ईंट से बनी दीवार भी मिली
सर्वे में मिले अवशेषों से लगभग यह तय माना जा रहा है कि इस इमारत का निर्माण 9वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य किया गया है। एक गर्भगृह के पास ईंटों से बनीं करीब 27 फीट लंबी दीवार भी यहां मिली है। जिसे लेकर पुरातत्वविदों का मानना है कि इस दीवार में जिन ईंटों उपयोग किया गया वह प्राचीन समय में होता था। मोहन जोदड़ो सभ्यता के समय होता था। यानी भोजशाला परमारकाल से भी प्राचीन हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर ही होगा कोई फैसला
वहीं धार के शहर काजी वकार सादिक का कहना है कि एएसआई की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है, यह सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है। इस मामले में अब हाईकोर्ट में इसी माह 22 जुलाई को सुनवाई होना है। लेकिन फैसला केवल सुप्रीम कोर्ट स्तर से ही किया जाएगा। वकार सादिक ने कहा सुनने में आया है कि सर्वे की रिपोर्ट सभी पक्षकारों को दी जा रही है। लेकिन रिपोर्ट की गोपनीयता बरकरार रखने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए थे। ऐसे में सभी पक्षकारों को सर्वे की रिपोर्ट दी जानी थी या नहीं, इस तथ्य पर भी जानकारी जुटाई जा रही है। वकार ने कहा उम्मीद की जाती है कि कोई भी पक्ष सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगा। जिससे अमन और शांति कायम रहे।
मिले 10वीं और 11वीं सदी के सिक्के
धार की ऐतिहासिक भोजशाला के एएसआई सर्वेक्षण के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजशाला परिसर से जो 31 सिक्के मिले हैं वो चांदी, तांबे के साथ एल्यूमीनियम और स्टील के हैं। यह सिक्के इंडो-ससैनियन यानी 10वीं से 11वीं सदी के हो सकते हैं। बता दें दिल्ली सल्तनत 13वीं से 14वीं सदी तक और मालवा सुल्तान 15वीं से 16वीं सदी तक शासन और मुगल 16वीं से 16वीं सदी के काल के बताए जा रहे हैं।