लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के कई बागी नेता भी इस बार चुनाव में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। जाति का समीकरणों से प्रभावित होने वाली चंबल और विंध्य अंचल की करीब पांच ऐसी सीट हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस के बागी नेताओं ने दोनों ही पार्टियों का चुनावी गणित बिगाड़ दिया है। यह बागी जीतने में भले कामयाब ना हों लेकिन जाति के वोटो की गोलबंदी कर हार जीत के अंतर को कम या ज्यादा कर सकते हैं।
- बीजेपी कांग्रेस दोनों दल झेल रहे बगावत
- ग्वालियर में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है रामसेवक गुर्जर की नाराजगी
- कांग्रेस ने ग्वालियर से दिया है प्रवीण पाठक को टिकट
- बीजेपी ने प्रवीण के सामने भारत सिंह कुश्वाह को उतारा
- सीधी में मुकाबला त्रिकोणिय नजर आ रहा
- मुरैना में बसपा के टिकट पर मैदान में कांग्रेस के बागी रमेश गर्ग
- भिंड में किंग मेकर की भूमिका में सवर्ण समाज
हम पहले बात करेंगे ग्वालियर सीट की। जहां बीजेपी ने पूर्व विधायक भारत सिंह कुशवाहा को लोकसभा का टिकट दिया है। जिन्हें कांग्रेस के साहब सिंह गुर्जर ने 2023 के विधानसभा चुनाव में हराया था। कुशवाहा के खिलाफ गुर्जर इस बार फिर गोल बंद नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में ग्वालियर सीट से प्रवीण पाठक फिर मैदान में उतारा है। जिन्हें नारायण सिंह कुशवाहा ने विधाानसभा चुनाव में हराया था। कांग्रेस से दावेदारी में आगे रहे पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर टिकट कटने से नाराज हैं। उनकी नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
सीधी में बीजेपी झेल रही बगावत
इसी तरह सीधी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। इस इलाके में बीजेपी को बगावत भी झेलना पड़ रही है। जातिगत गोलबंदी यहां चुनाव में आम बात है। सर्वाधिक आबादी ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग की है। बीजेपी ने राजेश मिश्रा को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने ओबीसी कुर्मी समाज से आने वाले पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा है। यहां ठाकुर मतदाताओं के अलावा कोल और गोंड आदिवासी भी अच्छी खासी संख्या में है। यहां तीसरे मोर्चे के रूप में भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर गए हैं। जिससे भाजपा का सियासी गणित यहां बिगड़ सकता है। सीधी में भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता रहा है। दरअसल यह सीट बीजेपी का गढ़ कहलाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से रीति पाठक बड़े मतों से जीत दर्ज की थी। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में रीति पाठक ने विधानसभा का चुनाव लड़ा था इसलिए अब यहां डॉक्टर राजेश मिश्रा को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है।
मुरैना : रमेश गर्ग ने बसपा के टिकट पर ताल ठोक दी
मुरैना सीट की बात करें तो भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक और दिमनी से पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सुमावली से बीजेपी के पूर्व विधायक रहे सतपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखते हैं। कांग्रेस के टिकट को की दौड़ में शामिल रहे रमेश गर्ग ने बागी रूप रखते हुए बसपा के टिकट पर ताल ठोक दी है। वे कांग्रेस के शहरी वोटर के साथ ही भाजपा के परंपरागत वैश्य वर्ग के मतों पर भी सेंध लगा सकते हैं। भिंड सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भाजपा ने मौजूदा सांसद संध्या राय तो कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है लेकिन टिकट कटने से खफा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और 2019 के प्रत्याशी देवाशीष बसपा के टिकट पर यहां चुनाव लड़ रहे हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं के वोट तीन भागों में बंट जाने से चुनाव में सवर्ण समाज यहां किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रहा है।