मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए आज 17 नवंबर शुक्रवार को मतदान प्रारंभ हो गया है। इस चुनाव के परिणाम अगले महीने 3 दिसंबर को सामने आएंगे। मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। इस बार मध्यप्रदेश में 2533 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। जिनकी किस्मत का फैसला करीब 5 करोड़ 60 लाख मतदाता करेंगे।
- मतदाताओं की संख्या करीब 5 करोड़ 60 लाख , 60 हजार 925
- पुरुष मतदाताओं की संख्या-2 करोड़ 88 लाख, 25 हजार, 607
- वहीं महिला मतदाता 2 करोड़ 72 लाख, 33 हजार 945 है
- जबकि थर्ड जेंडर मतदाता की संख्या 1373 दर्ज की गई है
- आयु वर्ग के हिसाब से कितने मतदाता
- 18 — 19 साल — 22.35 लाख मतदाता
- 20 — 29 साल — 1.41 करोड़ मतदाता
- 30 — 39 साल — 1,45 करोड़ मतदाता
- 40 — 49 साल — 1.06 करोड़ मतदाता
- 50 — 59 साल — 74.85 लाख मतदाता
- 60 — 69 साल — 43.45 लाख मतदाता
- 70 — 79 साल — 19.72 लाख मतदाता
- 80 साल से अधिक के— 6.53 लाख मतदाता
- मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 59,83,139
- पुरुष मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 87,82,261
- महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 71,99,586
- थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 1292 है
- सेवा मतदाताओं की मप्र में संख्या 75 हजार 382 है
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में अब मतदाताओं की बारी आ गई है। प्रचार के लंबे शोरगुल के बाद अब प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर एक आज शुक्रवार 17 नवंबर को मतदान के अधिकार का उपयोग मतदाता कर रहे हैं। प्रदेश की सभी 230 सीटों पर मतदान जारी है। जबकि 3 दिसंबर को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। बता दें चुनावों का ऐलान होते ही प्रदेश में आर्दश आचार संहिता लागू होने के बाद से ही सियासी दलों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया था। वहीं चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी थीं। आंकड़ों के अनुसार इस बार मध्यप्रदेश में मतदाताओं की संख्या में 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
पुरुष 10 फीसदी और महिला मतदाता 13 फीसदी बढ़ें
एमपी में पिछली बार साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार मतदाताओं की संख्या 10 प्रतिशत तो महिला मतदाताओं की संख्या तेरह प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले बार 2018 के चुनाव में मतदाताओं की संख्या जहां कुल 5 करोड़ 4 लाख 33 हजार 079 थी। जिसमें 2 करोड़ 63 लाख 1 हजार 300 पुरुष मतदाता और 2 करोड़ 41 लाख 30 हजार 390 महिला मतदाता पिछली बार थे।
मतदाताओं को रिझाने में झोंकी पूरी ताकत
इससे पहले सियासी दलों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी जहां सत्ता बरकरार रखने के लिए अपने विकास और लुभावने वादे और योजनाओं के दम पर प्रदेश में फिर सरकार बनाने का पूरा विश्वास लेकर चल रही है तो वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस को सत्ता में वापस आने के लिए दिसे गये अपने वचन पत्र के साथ 18 साल की बीजेपी सरकार के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी से उम्मीद है। बीजेपी की ओर से इस बार 100 मौजूदा विधायकों के साथ 7 सांसद जिनमें तीन केन्द्रीय मंत्री भी हैं और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को चुनाव मैदान में बतौर प्रत्याशी उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ अपने 88 विधायकों पर भरोसा जताया है। बसपा की ओर से भी दो विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है। वहीं इस बार बीजेपी से विधायक रहे नारायण त्रिपाठी इस बार अपनी अलग विंध्य जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं।
2018 में नहीं मिला था किसी दल को बहुमत
मध्यप्रदेश में पिछले 2018 के चुनाव की बात करें तो यहां का नतीजा बहुत दिलचस्प था। जिसमें किसी दल को प्रदेश की जनता ने बहुमत नहीं दिया था। प्रदेश की 230 सीटों में से बहुमत के लिए 116 सीट मिलना जरुरी है लेकिन पिछली बार 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीट जीती थी। 114 सीट के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 40.89 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं बीजेपी को 109 विधायकों के साथ संतोष करना पड़ा था। 2018 में बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। हालांकि उसे कांग्रेस से ज्यादा 41.02 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद भी सत्ता से दूर रही। 2018 में बसपा दो, सपा एक और चार निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। ऐसे में कांग्रेस ने 2018 में निर्दलीय विधायकों का साथ लेकर मप्र में सरकार बनाई थी। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों की नाराजगी के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इसके साथ वे भाजपा में शामिल हो गए थे। जिसके बाद 15 माह पुरानी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई। इसके बाद 2020 में बीजेपी ने शिवराज के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।