मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच एक एक सीट को लेकर सियासी गुणाभाग जारी है। हम आज बात करेंगे कटनी जिले की मुड़वारा सीट की। पिछले 20 सालों से बीजेपी कटनी मुड़वारा विधानसभा का कब्जा बरकार रखे हुए है। मुड़वारा विधानसभा शहरी और ग्रामीण अंचलों से जुड़ा हुआ विधानसभा क्षेत्र है और संदीप श्रीप्रकाश जायसवाल प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पिछले 10 सालों से लगातार दो पंचवर्षीय चुनाव जीतते आ रहे हैं।
ये है मुड़वारा सीट का सियासी गुणाभाग
- मुड़वारा है बीजेपी का गढ़
- 1977 से 2018 तक बीजेपी 6 बार जीती
- 2018 में संदीप जायसवाल—बीजेपी
- 2013 में संदीप जायसवाल— बीजेपी
- 2008 में गिरिराज किशोर पौद्दार—बीजेपी
- 2003 में अल्का जैन —बीजेपी
- 1998 में रामदेव —कांग्रेस
- 1993 में सुकीर्ति जैन— बीजेपी
- 1990 में रामकिशन—बीजेपी
- 1985 में भोला सिंह— कांग्रेस
- 1980 में चंद्र दर्शन — कांग्रेस
- 1977 में आसन राम— जेएनपी
मुड़वारा विधानसभा के तहत नगर निगम के 45 वार्ड जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 7 और 8 दो वार्ड के साथ कटनी जनपद के तहत 29 ग्राम पंचायत और 61 गांव शामिल हैं। जिसमें करीब 2 लाख 49 हजार मतदाता हैं। जिसे 289 मतदान केंद्र के माध्यम से मुड़वारा विधायक का चुनाव करते हैं। शहर विकास की बात करें तो विधायक ने विकास कार्य कराए हैं। जिला अस्पताल में महिला प्रसूतिका वार्ड जो तीन मंजिला भवन और नया मॉडल ऑपरेशन थियेटर के साथ ब्लड डोनेशन मोबाईल वेन की सौगात दी तो है लेकिन जिला अस्पताल में समुचित व्यवस्था नाकाफी है। डॉक्टर्स की कमी का रोना जो अभी भी बरकार है। वहीं प्रतिदिन आने वाले मरीजों को दवाइयां आधी अधूरी ही मिलती हैं। अधिकांश पर्ची बाउंस हो जाती है।
मुड़वारा सीट पर ये हैं चुनावी मुद्दे
- पूरी नहीं हुई मेडिकल कॉलेज की मांग
- चुनाव पर असर डालेगी मेडिकल कॉलेज की मांग
- चिकित्सा व्यवस्था हुई बीमार
- बदहाली के आंसू बहा रहे स्कूल
- सीवर लाइन योजना से करोड़ों का घोटाला
- नहीं हुई अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी पूरी
- मरीजों को भी दवाएं मिलती हैं आधी अधूरी
- यहा है सड़क पर दुकान ट्रैफिक बेलगाम
- जर्जर स्कूलों की जनप्रतिनिधि नहीं लेते सुध
- सड़कें, तालाब और नदी में तब्दील
मुड़वारा में अब बात करेंगे शिक्षा क्षेत्र की। नगर निगम की ओर से संचालित स्कूल गुलाब चंद, साधुराम हायर सेकेंडरी स्कूल, के.सी.एस.गर्ल्स स्कूल है। जो खस्ताहाल हो चुके हैं। ये कभी भी बंद हो सकते हैं। जिनकी सुध लेने वाला कोई जनप्रतिनिधि नहीं है। जनप्रतिनिधियों के पास इन स्कूलों के लिए समय ही नहीं रहता है। जबकि साधुराम हायर सेकेंडरी स्कूल एक इतिहास अपने आप मे समाय हुए है। इस स्कूल से पढ़कर निकलने वाले छात्र मंत्री कलेक्टर बड़े बड़े उद्योगपति जो देश के कई राज्यों में अपने उद्योग संचालित कर रहे हैं। लेकिन इस स्कूल की बदहाली देख इसका जीर्णोद्वार करने फुर्सत किसी विधायक और प्रशासन को भी नही। अब बात करते हैं शहर की यातायात व्यवस्था की। जो पूरी तरह चरमराई हुई है। कस्बा नुमा बाजार हैं जहां सड़क पर दुकानें सजी रहती हैं। सड़क पर सब्जी बेचते ये फुटकर दुकानदार और बेलगाम ऑटो रिक्शा शहर भर के ट्रैफिक को मुहं चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। आगे आइये अब हम आपको शहर के सड़कों को लेकर बात करते हैं। सड़क में गढ्ढा या गढ्ढे में सड़क जरा कहना मुश्किल है खुद देखकर तय किजिए कि सड़क किसे कहेंगे। चांडक चौक से घण्टाघर मुख्य मार्ग की सड़क है ही नही। यहां बारिश में जलभराव होता है। तो ये सड़कें तालाब और नदी में तब्दील हो चुकी हैं। ये अलग बात है कि नाव बोट नजर नही आएगा। लेकिन पानी की लहरें और चारो ओर पानी पानी जरूर देख सकते हैं। ये मामला कोई आज का नही वर्षो से यही हाल हैं। और यहां की समस्या निदान करने की हिम्मत न फुर्सत किसी में नही। यहां के रहवासी इसी में अपने आपको सामंजस्य बनाये जीते जा रहे हैं।
सीवर लाइन के लिए सड़क कर दी बर्बाद
आपको ये बताना भी जरूरी है कि सीवर लाइन योजना से करोड़ों का गोलमाल तो हुआ लेकिन जिस तरह सड़क को खोदकर गढ्डे में तब्दील किया गया। उतने ही मजबूती से वापस सड़कें निर्माण नही कराई गई… जिसका नतीजा सड़क में सीवर लाइन के गढ्डों के चलते जमीन धंस गई है। जिससे कभी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। उसे भी खानापूर्ति कर इन गढ्डों को भरने का काम किया जा रहा है। कहते हैं शहर और जिले का विकास तब नजर आता है। जब शहर में सुव्यवस्थित यातायात हो और सब कुछ बढ़िया तरीके से बसाया जाये। 2020 में तत्कालीन कलेक्टर ने 8 करोड़ 69 लाख रुपये से जुह्ला सुरकी मोड़ पौड़ी ग्राम के डेम को सौंदर्ययीकरण कराने योजना बद्ध कार्य शुरु कराया था। जो तीन चरणों में हो रहा है। सुरकी डेम का हाल न सड़क है न पूरी बॉउंड्री है और न यहां सौंदर्ययीकरण कराये जाने के उद्देश्य को ही पूरा किया गया।
- विधायक जी करते हैं दावा अनोखा
- दस साल के विकास का दे रहे लेखा जोखा
- मेडिकल कॉलेज पर बोले विधायक,काफी देर हो गई
- मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर हम गम्भीर हैं
संदीप जायसवाल पिछले 10 साल से यहां के विधायक हैं। सत्ताधारी दल के विधायक होने पर जिम्मेदारी भी बड़ी होती है। सवाल भी लाजमी है कि 10 साल का विकास आखिर नजर क्यों नही आ रहा है। हर तरफ पूरे शहर के आमजन से जुड़ा मुद्दा मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज की मांग को लेकर जनता ने आंदोलन किये। ज्ञापन सौंपें प्रदर्शन किया। लेकिन विधायक जी ने आज तक एक बार भी प्रयास नहीं किया। ऐसी कोई तस्वीर सामने नही आई। अब चुनाव में कांग्रेस पूरे दमखम के साथ अपनी तैयारी कर रही है। ये अलग बात है कि यहां पिछले 20 साल से कांग्रेस लगातार मात खा रही है। अब विधायक जी के विकास कार्य या आमजन के मन में यही सवाल है कि विकास क्यों नही हुआ।