मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव: अबकी बार आधी आबादी की सरकार

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023 this time government of half the population

हर चुनाव के पहले सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है। अबकी बार किसकी सरकार। इस बार मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद सियासी गलियारों के साथ साथ सड़क गली और चौराहों और चाय की दुकानों तक यही सवाल है कि अबकी बार किसकी सरकार। चलिए समझने की कोशिश करते है कि आखिर हिदुंस्तान के दिल पर किसका राज होगा।

हिंदुस्तान के दिल पर किसका राज किसको ताज

जहां तक मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां ये सवाल बहुत ही महत्तवपूर्ण हो जाता है क्योंकि मध्यप्रदेश देश के दिल में बसे होने के साथ साथ बड़ा हिंदी भाषी राज्य भी है। यहां की सरकार जो भी होगी उसे सत्ता के सेमी फाइनल के तौर पर देखा जाएगा। इसके अलावा इन चुनावों में सत्ताधारी बीजेपी के पास खोने का बहुत कुछ है तो कांग्रेस के पास पाने को। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अगर इस बार प्रदेश में स्थिर सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही तो कहीं न कहीं मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के हालात उत्तरप्रदेश, दिल्ली और बिहार की तरह हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस भी जी तोड़ कोशिश करती नजर आई। संगठन से लेकर मैदान स्तर हर मतदाता तक पंहुच बनाने की कोशिश की गई। कांग्रेस ये भी मानती है कि सरकार के खिलाफ बयार है और इसीलिए प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी। अगर बात करें बीजेपी की तो बीजेपी संगठन और मैनेजमेंट के स्तर पर कांग्रेस से कई गुना आगे है। मध्यप्रदेश में अब ये माना जा सकता है कि बीजेपी को कोई हरा सकता है तो केवल बीजेपी ही हरा सकती है। क्योंकि यहां के संगठन का बीजेपी के देशभर के संगठन में लोहा माना जाता है। शायद यही वजह है कि बीजेपी को एक बार फिर से सरकार बनाने को लेकर भरोसा है।

आधी आबादी पर टिकी रही सियायत

मध्यप्रदेश में इस बार आधी आबादी पर पूरी सियासत टिकी रही। चुनाव के दौरान महिला के वोट के जरिए पूरे परिवार के वोट को साधने की कोशिश की गई। इसकी वजह ये रही कि आधी आबादी अब सच में प्रदेश में आधी हो चुकी है। आधी आबादी के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने ढेर सारे वादे किए।

आधी आबादी के लिए बीजेपी ने किये ये वादे

बीजेपी सरकार चुनाव से पहले ही प्रदेश में महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू कर चुकी थी। सीएम शिवराज ने सरकारी नौकरियों (वन विभाग को छोड़कर) में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण और उन्हें 50 प्रतिशत शिक्षण पद आवंटित करने समेत कई योजनाएं पेश कीं। इसके बाद बीजेपी सरकार की महत्तावाकांक्षी योजना लाड़ली बहना सामने आई। 1 सितंबर से पीएम उज्ज्वला योजना, मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना,450 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने की भी घोषणा की थी।

कांग्रेस ने चुनाव में किए ये वादे

कांग्रेस ने भी महिलाओं के लिए कई चुनावी वादे भी किए। नारी सम्मान निधि के तहत महिलाओं को हर माह 1500 रुपए की मदद दी जाएगी। 500 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर देने का भी वादा किया। बेटी की शादी के लिए 1.01 लाख रुपए की सहायता देगी। स्टार्टअप के लिए 3 प्रतिशत ब्याज दर पर 25 लाख रुपए तक का लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें ग्रामीण बेघर महिलाओं के लिए आवास और महानगरीय बस सेवाओं पर मुफ्त परिवहन का भी वादा किया। कांग्रेस सत्ता में आई तो उसने मेरी बिटिया रानी योजना के तहत राज्य में जन्म लेने वाली हर एक बेटी को जन्म से लेकर शादी तक 2.51 लाख रुपए की राशि देने का वादा किया।

आधी आबादी पर पूरी सियासत क्यों

आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 के चुनाव में 2013 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा महिलाओं के वोट पड़े थे। साल 2013 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 73.95%, महिलाओं का 70.11% था। जबकि 2018 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 75.72% और महिलाओं का 74.03 % रहा। 2023 में जहां 78.21 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया तो महिलाओं का मतदान प्रतिशत 76.03 रहा। ये आंकड़ा भी 2018 के मुकाबले दो प्रतिशत ज्यादा रहा। मतलब कि हर बार चुनाव में आधी आबादी को वोट प्रतिशत दो से तीन फीसदी बढ़ता रहा है। यही बात राजनैतिक दलों से समझ कर पूरे चुनाव का फोकस आधी आबादी पर रखा।

बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत

इस बार बीजेपी ने 51 फीसदी वोट का लक्ष्य ऱखा था। दरअसल पिछले चुनावों मतलब कि 2018 में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा 41.0 प्रतिशत वोट मिले और कांग्रेस को 40.09 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन संख्या बल में बीजेपी कांग्रेस से पीछे रह गई। यही वजह रही कि बीजेपी ने 51 फीसदी वोट को हासिल करने पर काम शुरू किया। उसमें सीधे तौर पर महिला वोटर्स को लक्ष्य बनाया क्योंकि महिला वोटर हर चुनावों में दो से तीन प्रतिशत बढ़ रहीं है। यही वजह देख कांग्रेस ने भी किसी तरह महिला वोटर को ही टारगेट करने की रणनीति बनाई। ऐसे में दोनों ही दलों ने योजनाओं युवाओं के साथ साथ महिलाओं को फोकस करके बनाई।

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