Madhya Pradesh Assembly Election 2023:क्या कांग्रेस, बसपा—सपा के साथ मिलकर लड़ेगी चुनाव?क्या कहता है चार चुनाव का वोट परसेंट?

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 Congress BSP SP will contest elections together

Madhya Pradesh Assembly मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य की 230 सीटों में से फिलहाल बीजेपी के खाते में 127 विधायक हैं। तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के 96 विधायक चुनकर आए हैं। राज्य में चार निर्दलीय विधायक भी चुनकर आए हैं और बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 114 सीटें जीती थीं और बीजेपी को 109 सीट ही मिली थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों और तीन दूसरे विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिससे 2020 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार गिर गई थी। अब एक बार फिर कमलनाथ ने अपने नेताओं के साथ 2023 और 2024 के चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है।

माना जा रहा है कि राजनीतिक दल इस दिनों 2023 के चुनाव केसाथ ही 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में अगर बीजेपी विरोधी दल यानी कांग्रेस, सपा और बसपा एक जाजम पर आ जाएं तो बीजेपी के लिए विधानसभा ही नहीं मप्र में लोक सभा चुनाव में भी परेशानी खड़ी हो सकती है।

5 साल पहले सबसे बड़ी पार्टी थी कांग्रेस

2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को तब 114 सीटें मिली थी और बीजेपी को 96 सीट पर ही संतोष करना पड़ा था। यानी तब सत्तारुढ़ बीजेपी को परास्त कर सत्ता की कुर्सी कांग्रेस ने संभाली थी। वहीं चुनावी वोट परसेंट की बात करें तो कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट हासिल हुए थे। जबकि बीजेपी को 41.02 फीसदी वोट मिले थे। मायावती की बीएसपी को 5 फीसदी और अखिलेश की सपा ने 1.3% वोट हासिल किये थे।

बीजेपी ने 2003 में हासिल की थी 173 सीट

बता दें बीजेपी ने मप्र में अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 के चुनावों में किया था। जब दूसरी बार राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी और कांग्रेस की एक दशक पुरानी सरकार चली गई थी। तब बीजेपी को सीटें तो 173 मिली थीं लेकिन वोट शेयर के लिहाज से सबसे ज्यादा 42.50 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि सीट के लिहाज से बीजेपी ने सबसे बेहतर प्रदर्शन 1990 के चुनावों में किया था। जब 220 सीटें मिली थीं और राज्य में पहली बार सुंदर लाल पटवा की सरकार बनी थी। उस वक्त पार्टी को 39.14 फीसदी वोट शेयर मिले थे।

सर्वाधिक वोट शेयर बीजेपी को

2003 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी को सर्वाधिक वोट शेयर मिले थे। उस साल के चुनावों में बीजेपी को 42.50 फीसदी जबकि कांग्रेस को 31.61% और सपा को 3.71 फीसदी के बाद बीएसपी को 7.26 फीसदी वोट हासिल हुए थे। बीजेपी विरोधी इन तीनों दलों का वोट शेयर जोड़ दें तो बीजेपी के 42.50 फीसदी से ज्यादा 42.58 फीसदी हो जाता है। हालांकि यह 0.08 फीसदी ही ज्यादा है लेकिन इतने से भी राज्य में कई सीटों पर हार-जीत का खेल हो जाया करता है।

चार चुनाव में इस तरह कम ज्यादा हुआ वोट परसेंट

मप्र में पिछले 20 साल यानी विधानसभा के चार चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि हर बार विपक्षी दलों ने बीजेपी से ज्यादा मत प्रतिशत हासिल किए हैं। हालांकि 2013 को छोड़कर हर बार इन दलों यानी कांग्रेस, सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनावी ताल ठोकी हैं। 2013 में कांग्रेस और सपा ने मिलकर चुनाव मैदान संभाला था। लेकिन उन्हें महज 58 सीट यानी 36.38 फीसदी वोट मिले थे। बता दें उस समय अन्ना आंदोलन और कांग्रेस पर लगे कई घोटालों के आरोप ने खासा नुकसान पहुंचाया था। ऐसे में इन तीनों दलों कांग्रेस, सपा और बसपा को मिले वोट शेयर को जोड़ दें तो यह बीजेपी से ज्यादा हो जाता है। 2003 में यह 42.58 फीसदी, 2008 में 43.26 फीसदी, 2013 में 42.67 फीसदी और 2018 में 47.19 फीसदी है। 2018 में तो कांग्रेस को बीजेपी से 0.13 फीसदी कम वोट मिले थे। लेकिन उसे पांच सीटें ज्यादा मिली थीं। यानी मध्य प्रदेश में वोट परसेंट के छोटे से भी अंतराल से सीटों के आंकड़े में बड़ा फेरबदल हो जाता है।

Exit mobile version