लोकसभा चुनाव: क्या है संदेशखाली का चुनावी मिजाज…? रेखा पात्रा पर बीजेपी ने क्यों खेला दांव

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लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल का संदेशखाली चर्चा में आ गया था। यहां जिंदगी बिल्कुल ठहरी हुई नजर आ रही है। चुनाव के दौरान इच्छामाटी नदी के टापू पर बसे छोटे-छोटे गांव तक पहुंचाने का एकमात्र रास्ता छोटी बड़ी नाव हैं। छोटी नाव में लोग तो बड़ी नाव में छोटे-छोटे वाहन भी रखकर नदी पर किए जाते हैं। गांव तक ले जाते हैं। इन हालात से जूझने के लिए जब गांव की कुछ महिलाओं ने लड़ने की ठानी तो वे कुछ महीने पहले राष्ट्रपति तक गुहार लेकर पहुंची संदेशखाली की यह महिलाएं जब राष्ट्रपति तक पहुंचीं तो उसकी गूंज तेज देश में कोने कोने तक सुनाई दी।

गृह मंत्रालय ने बढ़ाई रेखा पात्रा का सुरक्षा

बशीरहाट सीट से बीजेपी ने संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा को प्रत्याशी बनाया है। जिनकी सुरक्षा एक बार फिर केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ा दी है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पहले रेखा को एक्स कैटेगरी की सिक्योरिटी उपलब्ध कराई थी। लेकिन अब उनकी सुरक्षा बढ़ाकर वाई कैटेगरी कर दी गई है। दरअसल आईबी की रिपोर्ट आने के बाद ही खतरे का आकलन करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बीजेपी प्रत्याशी और संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी है। बता दें वाई कैटेगरी की सुरक्षा में 8 सुरक्षा जवान हमेशा तैनात रहेंगे। इस सुरक्षा के तहत वीआईपी को पांच आर्म्ड स्टैटिक गार्ड उसके घर पर तैनात किए जाते हैं। साथ ही तीन शिफ्ट में तीन पीएसओ भी संबंधित को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

बांग्लादेश से लगी हुई है बशीरहाट लोकसभा सीट की सरहद

बशीरहाट लोकसभा सीट की सरहद बांग्लादेश से लगी हुई है। आमचुनाव में यहां अवैध घुसपैठ ही सबसे बड़ा मुद्दा चुनावी होता बनता है। नॉर्थ 24 परगना जिले के इस छोटे से गांव संदेशखाली के मुद्दे ने बशीरहाट लोकसभा सीट की कहानी ही बदल दी है। इस गांव की महिलाओं ने टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उसके गुर्गों पर टीएमसी ऑफिस में गैंगरेप करने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे के सामने आने के बाद BJP ने भी इसे हाथों हाथ लपक लिया और संदेशखाली को लोकसभा चुनाव में टीएमसी के खिलाफ मुद्दा बनाने में पूरी ताकत झोंक दी। देश भर में संदेशखाली की गुंज सुनाई दी लेकिर बशीरहाट लोकसभा सीट पर ही इसका असर नहीं दिख रहा है। हालत यह है कि यहां रहने वाली महिलाएं ही नहीं जानतीं कि आखिर संदेशखाली में हुआ क्या था। देश भर में इस मुद्दे को इसे लेकर सियासी बयानबाजी भी हुई और दावे और वादे भी किए गए। चुनाव के दौरान कई लोकलुभावनी बातें भी संदेश खाली के लोगों के लिए कही गई। लेकिन हालात नहीं बदले। अब तक स्थिति वही की वही है। बल्कि शिकायत के बाद तो वीडियो गांव आए और जब लोगों को उनकी जमीन पर खड़ा किया फोटो खींची और चलते बने। इसके बाद किसी ने झांक कर नहीं देखा। अब संदेश खाली की महिलाएं कहती हैं जमीन तो मिली नहीं उल्टे लक्ष्मी भंडारा यानी लक्ष्मी भंडार जैसी योजना में जो पैसे मिल रहे थे सरकार ने वह भी बंद कर दिए।

2009 से टीएमसी के कब्जे में बशीरहाट सीट

संदेश खली क्षेत्र बशीरहाट लोकसभा सीट का एक हिस्सा है जो 2009 से ही टीएमसी के पास है। बशीरहाट लोकसभा सीट में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिसमें संदेश खाली भी एक है। पिछली बार टीएमसी की नुसरत जहां करीब 54 प्रतिशत बोट हासिल कर चुनाव जीतीं थीं। इस बार टीएमसी ने नुसरत जहां का टिकट काटकर हाजी नुरुल को चुनाव मैदान में उतारा है। हाजी नरुल 2009 में यहां सांसद रह चुके हैं। जबकि भाजपा ने टीएमसी को टक्कर देने के लिए रेखा पात्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें यह रेखा पात्रा वहीं हैं जिन्होंने कभी संदेशखाली की महिलाओं की दुर्दशा को अपने तरीके से उजागर किया था।

बीजेपी ने कहा-संदेशखाली टीएमसी सरकार का नाकाम चेहरा

दरअसल बीजेपी संदेश खाली की घटना को पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार की असफलता का प्रतिनिधि चेहरा बता रही है। यही वजह है कि पार्टी ने संदेश खाली में विरोध का स्वर तेज करने वाली रेखा पात्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। अब लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए गांव में बीजेपी की रेखा पात्रा के पोस्टर और झंडे तो नजर आते हैं लेकिन यहां भाजपा के कार्यकर्ता अब भी उतने सक्रिय नहीं है। टीएमसी यहां अपने झंडे बैनर लगाकर रखे हुए हैं। हालांकि ग्रामीणों को उम्मीद है कि संदेश खाली से इस बार टीएमसी को खाली हाथ रहना पड़ेगा। बीजेपी यहां पर बढ़त हासिल कर सकती है। बावजूद इसके बीजेपी की जीत को लेकर संदेश खाली के लोग अस्वस्त नहीं हैं क्योंकि आसपास मुस्लिम बहुल इलाके हैं जो टीएमसी के वोट बैंक है।

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