लोकसभा चुनाव: प्रचार से गायब राजे बेटे की सीट झालावाड़ में बहा रहीं पसींना…क्या अब भी नाराज हैं ‘राजे’ ?

Lok Sabha elections Former Rajasthan BJP CM Vasundhara Raje Scindia angry

राजस्थान में पहले चरण के मतदान से पहले राजस्थान बीजेपी नेताओं में नाराजगी दिखाई दी है। खासतौर पर पूर्व CM वसुंधरा राजे सिंधिया की नाराजगी BJP के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। राजे कई बड़े कार्यक्रमों से लापता रहीं। PM नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय नेता प्रचार के लिए राजस्थान के कई चक्कर काट चुके हैं। राजस्थान के CM भजनलाल शर्मा और दोनों डिप्टी सीएम भी सभी सीटों पर प्रचार के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। लेकिन प्रचार के शोर से राजस्थान का एक प्रमुख चेहरा गायब है। वह चेहरा कोई और नहीं प्रदेश की राजनीति की 25 साल तक नेतृत्व करने वालीं वसुंधरा राजे का है। पिछले 2023 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे ने जैसी सक्रियता दिखाई थी, वैसी सक्रियता लोकसभा चुनाव प्रचार में अभी तक नहीं देखने को मिल रही है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि आखिरी पूर्व वसुंधरा राजे कहां हैं? इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ जानकार इसे वसुंधरा की नाराजगी भी बता रहे हैं।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम प्रदेश में पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल है, लेकिन वे झालावाड़ लोकसभा सीट को छोड़कर किसी दूसरी सीट पर प्रचार करते नजर नहीं आ रही हैं। झालावाड़ से राजे के बेटे दुष्यंत सिंह चुनावी मैदान में हैं। प्रधानमंत्री मोदी अब तक प्रदेश में पांच चुनावी सभा और एक रोड शो कर चुके हैं। लेकिन राजे पीएम के किसी भी चुनावी कार्यक्रम में नजर नहीं आई हैं। हालांकि भाजपा के स्थापना दिवस छह अप्रैल को राजे दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में मौजूद थीं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेताओं के साथ मुलाकात भी की थी। लेकिन राजस्थान में पहले चरण के प्रचार का शोरगुल बंद होने के बाद सियासी गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिरी वसुंधरा राजे प्रचार से क्यों दूर हैं? क्या राजे केवल अपने बेटे की सीट झालावाड़ तक सिमट कर रह गई हैं?

विधानसभा चुनाव के बाद से ही नाराज हैं ‘राजे’

2023 के विधानसभा चुनाव में राजे ने राजस्थान में जमकर प्रचार किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव के शुरूआती दौर में राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कुछ ठीक नहीं था। लेकिन बाद में राजे ने नाराजगी दूर कर चुनावी मैदान पकड़ लिया और विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया था। वे पीएम मोदी के साथ कई बार मंच पर नजर भी आई थीं। लेकिन प्रदेश में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को प्रदेश का सीएम बना दिया गया। इसके बाद से ही राजे बीजेपी ओर पार्टी के नेताओं से नाराज हैं। खुलकर तो उन्होंने कभी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जाहिर नहीं लेकिन वे प्रदेश भाजपा के कई कार्यक्रमों और बैठकों से गैरहाजिर रहीं। इसके बाद लोकसभा टिकट वितरण के समय राजे फिर कुछ दिन सक्रिय हुईं, लेकिन टिकट बंटवारे के बाद फिर शांत हो गईं। पिछले दिनों झालावाड़ सीट पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली के अलावा राजे की उपस्थिति दूसरे किसी बड़े मंच पर नहीं दिखी थीं।

घोषणा-पत्र समिति की बैठक में हुईं थीं शामिल

दिल्ली में भाजपा मेनिफेस्टो कमेटी की बैठक में वसुंधरा शामिल हुईं थीं। पूर्व सीएम राजे के पास फिलहाल सरकार में कोई पद नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने राजे के प्रचार प्रसार का कार्यक्रम जारी नहीं किया। जबकि दूसरे नेताओं के हर छोटे बड़े कार्यक्रम की प्रेस विज्ञप्ति पार्टी की ओर से जारी की जा रही है। राजस्थान बीजेपी के स्थानीय नेताओं की माने तो का कहना है कि सियासी गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि राजे के प्रचार से दूर रहने पर पार्टी को फायदा होगा या नुकसान, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को कोई नुकसान के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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