I.N.D.I.A ब्लॉक में कांग्रेस का दोयम दर्जा…गठबंधन के दलों ने नहीं किया ‘बड़ा दिल’, कमजोर रही देश की सबसे पुरानी पार्टी

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लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर नजर आ रही है। जिन राज्यों में उसे कभी गठबंधन में भाई की भूमिका में होना चाहिए था वहां भी गठबंधन में एकता के नाम पर कांग्रेस के हाथ बंधे दिखाई नजर आ रहे हैं। इसके ठीक उलट बिहार से यूपी तक और तमिलनाडु से लेकर महाराष्ट्र तक क्षेत्रीय दलों ने उसपर अपना भरपूर दबदबा बना लिया है और कांग्रेस विकल्प विहीन नजर आ रही है।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी के साथ आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चलते इंडिया ब्लॉक का औपचारिक नेतृत्व भले ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में हों लेकिन कई महत्वपूर्ण प्रदेशों मं सीट शेयरिंग पर तालमेल के दौरान कांग्रेस महज पिच्छलग्गू की भूमिका में ही दिखाई दे रही है।

लालू नहीं मानी कांग्रेस की बात

सीट शेयरिंग में बिहार की सीटों का बंटवारा लालू यादव की मर्जी से हुआ। यानी कांग्रेस की नहीं लालू की बिहार चली। महागठबंधन की ओर से लोकसभा की 40 सीटों पर भले ही औपचारिक बंटवारे का ऐलान किया गया हो लेकिन लालू यादव और उनकी आरजेडी ने कई सीटों पर पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर यह संकेत दे दिया था कि गठबंधन का कंट्रोल अभी उन्हीं के हाथों में है। लालू प्रसाद यादव ने लोकसभा की जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिए उनमें कई सीट ऐसी हैं जिसपर कांग्रेस अपनी दावेदारी जता रही थी। लेकिन कांग्रेस को सीट देने के लिए लालू टस से मस नहीं हुए।

महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को किया जा रहा दरकिनार

बिहार के साथ तमिलनाडु में सीट शेयरिंग पर दूसरे दलों की मनमर्जी की बात तो समझ में आती है। क्योंकि कांग्रेस राजनीतिक रूप से यहां अपनी प्रमुख सहयोगी पार्टी की पार्टनर है। लेकिन, महाराष्ट्र में तो कांग्रेस का दोनों सहयोगियों शिवसेना यूबीट और एनसीपी एससीपी से बड़ा राजनीतिक संगठन है। लेकिन यहां भी उद्धव ठाकरे भिवंडी, सांगली, मुंबई साउथ सेंट्रल के साथ मुंबई नॉर्थ वेस्ट सीट देने को राजी नहीं है। बल्कि उद्धव ठकारे ने तो सांगली के साथ मुंबई साउथ सेंट्रल के लिए पार्टी प्रत्याशी तक घोषित कर दिए। कांग्रेस नेता के की माने तो केंद्रीय नेतृत्व क्षेत्रीय पार्टियों को नाराज नहीं करना चाहता। क्योंकि संभावनाओं को लेकर कांग्रेस सतर्क है। ज्यादा दबाव डालने की स्थिति में ये पार्टियां कहेंगी कि राष्ट्रीय पार्टी और मुख्य विपक्ष दल के तौर कांग्रेस बड़ा दिल नहीं दिखा रही है।

उत्तरप्रदेश में सपा ने कांग्रेस की सीट तय की

उत्तरप्रदेश में भी समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के सामने कांग्रेस एक तरह से हाशिए पर ही नजर आ रही है। शुरूआत में सपा ने अपनी ओर से घोषणा कर दी कि कांग्रेस को राज्य की 11 सीट दी जाएंगी। इसके बाद उसने ऐसी सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए जो कांग्रेस मांग रही थी। 17 सीट सपा ने तब छोड़ी जब जयंत चौधरी की आरएलडी इंडिया ब्लॉक से बाहर चली गई। इतना होने के बाद भी सपा प्रमुख अखिलेश ने कांग्रेस के लिए कई सीटें नहीं छोड़ीं। जिन पर कांग्रेस दावा कर रही थी। फिर चाहे वो फर्रुखाबाद हो या भदोही, श्रावस्ती, जालौन और लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट हैं। जबकि इन सीटों में से कुछ सीट पर कांग्रेस 2009 में चुनाव जीत भी चुकी है।

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