लोकसभा चुनाव : सियासी गर्मी में पिघलने लगी बर्फ-सचिन पायलट बोले हैं वे 100 % करेंगे गहलोत के बेटे का प्रचार

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कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सियासी मतभेद किसी से छुपे नहीं हैं। लेकिन चुनावी गर्मी में लगता है दोनों के रिश्तों के बीच जमी मदभेद की बर्फ पिघलने लगी है।

सचिन पायलट ने गहलोत के साथ अपने मतभेदों को लेकर कहा है कि अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना पार्टी के हित में था। उन्होंने यह भी कहा कि वे अशोक गहलोत के बेटे और जालौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार वैभव गहलोत के लिए सौ फीसद प्रचार करेंगे। सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने कभी भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जो सार्वजनिक जीवन के एक व्यक्ति के लिए अशोभनीय हों। उन्होंने कभी भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जो अपमानजनक हो क्योंकि बचपन से ही उन्हें ये मूल्य सिखाए गए कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, बड़ों का सम्मान करना चाहिए और उन्होंने इसे हमेशा बनाए रखा है। माफ करो और भूल जाओ’ के मंत्र पर जोर देते हुए

‘भूल चुका हूं निकम्मा-नकारा जैसे तंज’

सचिन पायलट ने पिछले साल दिल्ली में हुई बैठक को याद किया जब वे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठे थे। इस दौरान उन्हें आगे बढ़ने के लिए कहा गया था। उनसे माफ़ करने और सबकुछ भूलकर आगे बढ़ने के लिए कहा गया था। लिहाजा उन्होंने बिल्कुल वैसा ही किया और यही कांग्रेस पार्टी और राजस्थान के लिए समय की मांग थी। पायलट ने यह सवाल पूछे जाने पर कि वे राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ अपने पिछले मतभेद और 2020 में गहलोक के निकम्मा-नकारा जैसे तंज को कैसे दूर करेंगे पर कहा उन्होंने उसी सिक्के में जवाब देने में कोई फायदा नहीं देखा और उकसाए जाने से इनकार कर दिया। पायलट कहते हैं उन्होंने नाम पुकारने के बजाय गरिमा और अनुग्रह के रास्ते को चुना। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाने और हमेशा आगे बढ़ने का निर्णय किया। सचिन पायलट ने कहा यह कांग्रेस की बेहतरी के लिए है। उनके राज्य की बेहतरी के लिए है और निश्चित रूप से उनकी बेहतर के लिए भी है।

‘जनता दोहरायेगी 2004 वाला इतिहास’

सचिन पायलट ने चुनाव को लेकर दावा करते हुए कहा साल 2004 के लोकसभा चुनाव का इतिहास 2024 में भी दोहराए जाने की संभावना नजर आ रही है। अधिकतर लोगों के बीच नाराजगी देखते हुए 2004 की पुनरावृत्ति बहुत संभव है। मीडिया में जो नहीं देखते हैं वह जमीन पर वास्तविक भावना है। बीजेपी के जुमलों और अति आत्मविश्वास की इस राजनीति की अपनी सीमाएं हैं।

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