राजद प्रमुख एवं बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव इन दिनोें सियासी गलियों में चर्चा का केंद्र बन गए है। उनकी राजनीतिक शैली की खूब चर्चा हो रही है। अब लालू स्वस्थ हैं और राजनीति में भी सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में बिहार की राजनीति लालू के इर्दगिर्द घूमने लगी है। लालू द्वारा किए जाने वाले सियासी इशारों के भी मायने निकाले जाने लगे हैं। हाल ही में पटना में विपक्षी दलों की बैठक आयोजित हुई थी जिसमें लालू प्रसाद यादव ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बारात का दूल्हा बता दिया था। लेकिन जिस तरह से गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल को झटका दिया है,उससे यह सवाल उठने लगा है कि लालू के इशारों का क्या होगा।
राहुल को बता दिया था भविष्य का पीएम
पटना हुई विपक्षी दलों की बैठक के ठीक पहले सदाकत आश्रम में राहुल गांधी ने कई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की थी। उन्हे संबोधित करते हुए पार्टी की एकता पर जोर दिया था। इसी कार्यक्रम मं एक महिला विधायक भी शामिल हुई थी जिसने बिहार विधानसभा के सामने वीरचंद पटेल पथ पर होर्डिंग्स बैनर के जरिए राहुल गांधी को भावी पीएम बताया था। इसके अलावा पोस्टरों के माध्यम से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी भविष्य का प्रधानमंत्री बताने की कोशिश की गई थी। इसके अलावा खुद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इशारों ही इशारों में राहुल गांधी को बारात का दूल्हा बताया था। हालांकि उनका आशय राहुल की शादी से था लेकिन सियासी पंडितों ने उनके इशारे को विपक्ष के नेता के तौर पर लिया था। हकीकत कुछ भी पर माना यही गया कि राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के तौर पर लालू देखना चाहते हैं।
अब आगे क्या होगा
एक केस में राहुल गांधी की सांसदी जा चुकी है। और गुजरात हाईकोर्ट ने भी राहुल गांधी को राहत नहीं दी है ऐसे में उनके पास सुप्रीम कोर्ट का सहारा बचा हुआ है। अब राजनैतिक गलियों में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल के नाम विचार का कोई विकल्प फिलहाल नहीं बचा है। यदि लालू का इशारा राहुल गांधी को पीएम के लिए प्रोजेक्ट करने का था तो अब यह संकेत किसी काम का नहीं है। माना जा रहा है कि अब राज्यों के प्रभाव और सीटों के बंटवारे और नए गठबंधन के आधार पर नाम घोषित किया जा सकता है।