काशी मथुरा के बाद अब भोजशाला के सर्वे की भी मांग उठी है।

काशी मथुरा के बाद अब भोजशाला के सर्वे की भी मांग उठी है।

काशी मथुरा के बाद अब भोजशाला के सर्वे की भी मांग उठी है।
काशी, मथुरा के बाद अब धार की भोजशाला में भी सर्वे कराने की मांग उठी है। इंदौर हाईकोर्ट में लगी याचिका पर सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने भोजशाला में नमाज करने पर भी रोक लगाने की मांग की ।

कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
धार भोजशाला का विवाद सालों से चला आ रहा है। इस बारे में अदालत में अलग अलग सात याचिकाऐं लगी है। इन सात याचिकाओं में से इंदौर हाईकोर्ट ने हिंदू फार जस्टिस ट्रस्ट की ओर से लगी याचिका पर सुनावई की। बहस के दौरान हिदूं पक्ष के वकील ने 1902 के सर्वे को भी कोर्ट में पेश किया। 1902 का सर्वे लार्ड कर्जन ने कराया था। उस समय हुए सर्वे में भोजशाल में हिदूं चिन्ह, संस्कृत के शब्द पाए गए थे। हिंदू पक्ष का कहना है कि अब भोजशाला की वौज्ञानिक तरीके से भी जांच कराई जाए।

1951 में घोषित हुआ राष्ट्रीय स्मारक
भोजशाला को सरकार ने 1951 को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया। इस समय के नोटिफिकेशन में भोजशाला के साथ साथ कमाल मौली की मस्जिद भी उल्लेख मिलता है। वहीं 1995 में हुए विवाद के बाद से वहां अब नमाज और पूजा दोनों होती है। प्रशासन मुस्लिम पक्ष को हर शुक्रवार नमाज करने देता है तो वहीं हिंदू पक्ष हर बसंत पंचमी पर पूजा करता है।

राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला
धार के राजा भोज सरस्वती मां के अन्नय उपासक थे। उन्होंने 1034 ईस्वी में महाविद्यालय बनवाया था जिसका नाम बाद में भोजशाला पड़ा। इसमें वाग्देवी की इस सुंदर प्रतिमा था। इसीलिए इसे हिदूं सरस्वती मंदिर भी मानते हैं।बताय जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को तोड़ दिया था। वहीं 1902 में लार्ड कर्जन वाग्देवी प्रतिमा के लंदन लेकर गए थे। फिल्हाल वाग्देवी प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में लगी है।

 

 

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