प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मांड्या में बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने के साथ ही कर्नाटक में चुनावी शंखनाद कर दिया है। कर्नाटक में तीनों प्रमुख पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अब कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर और भ्रष्टाचार के आरोपों को मात देने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ रही है। ऐसा लगता है कि रुझान उसके पक्ष में नहीं जा रहे हैं क्योंकि एक चुनावी सर्वेक्षण ने संकेत दिया है कि इस बार कर्नाटक में कमल खिलने की संभावना कम नजर आ रही है।
इस सर्वे की मानें तो कर्नाटक में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने वाला है। राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का भी अनुमान लगाया जा रहा है। खास बात ये है कि इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों को लगभग बराबर सीट मिलने की संभावना जाहिर की गई है। बता दें 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 104 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। जबकि कांग्रेस और जेडी (एस) ने क्रमशः 78 और 37 सीटें हासिल कर सकी थीं। हालांकि कांग्रेस को साधारण बहुमत मिल सकता है। कांग्रेस को 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 106-110 सीट मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। उसे 39-42 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। इसकी तुलना में सत्ताधारी दल 33-36 फीसदी वोट शेयर के साथ 77-83 सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं किंगमेकर बनने की उम्मीद कर रही जद (एस) 15-18 फीसदी वोट शेयर के साथ करीब 21-27 सीट जीतने की संभावना है। सर्वे ने दूसरों के 6-9 फीसदी वोट शेयर के साथ 1 से 4 सीट जीतने की भविष्यवाणी की है। कहा गया है कि 15 जनवरी से 28 फरवरी तक करीब 45000 लोगों के बीच जाकर ये सर्वे किया गया है। रिपोर्ट की माने तो राज्य में विकास की कमी, कोली समुदाय को आरक्षण प्रदान करने में विफलता ने कल्याण कर्नाटक में मतदाताओं के बीच असंतोष की भावना पैदा कर दी है। तो वहीं कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उम्मीद की जा रही है कि पार्टी को वोटों का एक बड़ा हिस्सा मिल सकता है। हालांकि बीजेपी के पूर्व नेता जनार्दन रेड्डी के संगठन से कांग्रेस और बीजेपी दोनों के वोटों में सेंध लगने की उम्मीद है। कित्तूर कर्नाटक में कांग्रेस कुछ हद तक बढ़त हासिल कर सकती है। आरएसएस के मजबूत संगठन ने बीजेपी को इस क्षेत्र पर नियंत्रण करने में मदद की है। पुराने मैसूरु क्षेत्र में जद (एस) को बढ़ती बीजेपी के कारण करारा झटका लग रहा है।
अंतिम दौर में चुनाव आयोग की तैयारी
कर्नाटक में चुनाव करीब हैं। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को घोषणा की कि 80 साल से अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग लोगों को चुनावों में घर से वोट देने का विकल्प मिलेगा। बता दें 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त होने वाला है। इसलिए नई विधानसभा होनी है और उससे पहले चुनाव पूरे होने हैं।
कुमार ने आगे कहा कि अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर फॉर्म 12डी उपलब्ध होगा, ताकि घर से मतदान करने के इच्छुक किसी भी 80 प्लस या पीडब्ल्यूडी मतदाता को सुविधा दी जा सके।
पहली बार हम कर्नाटक में सभी 80 से अधिक और विकलांग व्यक्तियों मतदाताओं को सुविधा प्रदान करने जा रहे हैं यदि वे चाहें, तो वें से भी मतदान कर सकते हैं। बता दें भारत चुनाव आयोग का तीन सदस्यीय टीम तैयारियों की समीक्षा के लिए कर्नाटक के दौरे पर है। ईसीआई ने एक ट्वीट में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय और अरुण गोयल कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए बेंगलुरु में हैं।