कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब बजरंग दल पर विवाद की एंट्री ने माहौल बदल दिया है। राज्य में 10 मई को वोटिंग होना है और बीजेपी को बजरंग बली के रूप में नया सियासी हथियार मिल गया है। इसके साथ ही दूसरे कई मुद्दे नेपत्थ्य में चल गए हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी कर्नाटक की हर रैली की शुरुआत अब बजरंग बली के उद्घोष से कर रहे हैं। चुनावी घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल पर प्रतिबंध का ऐलान कर कांग्रेस ने चुनाव की सरगर्मी बढ़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस द्वारा घोषणा पत्र में बजरंग दल को बैन करने के वादे को बीजेपी चुनाव में भुना पाएगी?
- बगावत और एंटी इंकंबेंसी का शिकार थी बीजेपी
- बीजेपी को मिल गया बजरंग बली का सहारा
- कांग्रेस के घोषणा पत्र के बाद बदला सियासी माहौल
- बजरंग दल पर प्रतिबंध का कांग्रेस ने किया वादा
- बीजेपी को मिला बैठे-बिठाए चुनावी मुद्दा
- बजरंग दल पर प्रतिबंध का मुद्दा भुनाने में जुटी बीजेपी
- कर्नाटक में हिन्दुओं की संख्या 6.11 करोड़ है
कर्नाटक की चुनावी सियासत में अब तक कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा था। इतना ही नहीं सर्वे और पोल में भी कांग्रेस बढ़त बनाते नजर आ रही थी। लेकिन कांग्रेस के घोषणा पत्र ने उसे ही पीछे धकेल दिया। बजरंग दल को बैन करने की वादा कर कांग्रेस ने एक तरह से बीजेपी को संजीवनी दे दी है। यही वजह है कि कर्नाटक के चुनावी रण में फिलहाल हिंदुत्व के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है।
बीजेपी को दिखी उम्मीद की किरण
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले सत्तारुढ़ बीजेपी को अपनों की बगावत और एंटी इंकंबेंसी का भय सता रहा था। जिसे अब बजरंगबली से सहारा है। दरअसल कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल को बैन करने का वादा किया है। इसके के साथ ही बीजेपी को उसे बैठे-बिठाए ऐसा मुद्दा दे दिया ,जिसे बीजेपी पूरी तरह भुनाने में जुट गई है। खासतौर पर उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में बीजेपी को इस मुद्दे से खासी उम्मीद नजर आने लगी है। यहां पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के पार्टी छोड़कर जाने के बाद से बीजेपी अपने आप को कमजोर महसूस कर रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्नाटक में चुनावी रैली की शुरुआत ही बजरंग बली के नारे से कर रहे हैं।
बजरंग बली के नारे से पीएम मोदी कर रहे आगाज
दक्षिण कर्नाटक के मुदबिदरी में भी प्रधानमंत्री ने अपना संबोधन बजरंग बली के नारे के साथ शुरु किया। इतना ही नहीं पीएम ने अपने स्वाभाविक अंदाज में कांग्रेस पर जमकर तंज कसा। बगैर नाम लिए उन्होंने गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा। इसमें सबसे खास बात रही बजरंग बली का नारा। बता दें इससे पहले मंगलवार की शाम को कर्नाटक के हनागल तालुक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी अपना गुस्सा जाहिर करते हुए भाषण के दौरान जय श्री राम और जय बजरंगबली के जमकर नारे लगाए। इतना ही नहीं उन्होंने तो भगवा कपड़ा भी मंच से लहराया।
कर्नाटक में 12.91 प्रतिशत मुस्लिम और 84 प्रतिशत हिन्दू आबादी
कर्नाटक में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या करीब 6.11 करोड़ है। जिसमें से हिन्दूओं की संख्या करीब 5.13 करोड़ यानी 84 फीसदी के आसपास है तो मुस्लिम आबादी 79 लाख यानी 12.91 फीसदी के आसपास है। राज्य में ईसाई वर्ग के लोगों की जनसंख्या करीब 11 लाख और जैन समाल के लोगों की जनसंख्या करीब 4 लाख है। कर्नाटक की सियासत में इन दिनों धर्म का मुद्दा गरम और चरम पर है। बजरंग दल पर प्रतिबंध के एलान के बाद ध्रुवीकरण और तुष्टीकरण की सियासत तेज हो गई है। राज्य में 12.91 प्रतिशत मुस्लिम आबादी 224 सीटों में 40 सीट पर सीधा असर डालती है। अमूमन मुस्लिम वर्ग कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में बीजेपी बजरंग दल के मुद्दे को हवा देकर राज्य की 84 फीसदी हिन्दू आबादी अपनी ओर आकृषित करने की कोशिश में जुटी हुई है।
कर्नाटक में अब तक बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
कर्नाटक चुनाव में इससे पहले बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा माना जा रहा था। बेरोजगारी के बाद गरीबी को लेकर लोग चिंतित थे। अब हिन्दूत्व का मुद्दा धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा है। बता दें पिछले दिनों एक सर्वे में 28 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगागार पर चिंता जताई थी। इस सर्वे में 25 प्रतिशत के आसपास लोगों ने गरीबी को लेकर भी अपनी चिंता जताई थी। राज्य के युवा मतदाता बेरोजगारी बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं तो ग्रामीण अंचल में मतदाताओं के लिए गरीबी बड़ा मुद्दा है।