हिंदुस्तान के इस किले का रहस्य आजतक कोई नहीं जान सका। सात दरवाजो सात आंगन के इस किले में दिन में तो सबकुछ सामान्य होता है लेकिन रात होते ही किले की रहस्मयता लोगो को डराने लगती है. कभी किले की प्राचीर से घुंघरू की आवजें आती है तो कभी समुद्र मंथन के समय जैसी अजीब हलचलें और कभी कभी रात को रानी महल की रंगते आदमी को बदहवास कर जाती है। यही वजह है कि इस किले पर दिन में तो लोग आते है लेकिन रात के अंधेरे के पहले लौट जाते है। हांलाकि ये अपने दौर का अपराजेय दुर्ग रहा है लेकिन फिर भी इसकी भव्यता रात के अंधेरे में डरावने किस्से को कहती दिखती है।
हम बात कर रहे है कालिंजर के किले की।
1- कालिंजर का ये किला वैसे तो उत्तरप्रदेश में है।
2-उत्तप्रदेश में मध्यप्रदेश की सीमाओ को मिलाकर बना है बुंदेलखंड और इसी बुंदेलखंड को में जिला है बांदा। बांदा जिले में बसा ये किला रहस्मयी किस्सों से भरपूर है।
3 कालिंजर अभेद दुर्ग माना जाता है इसमें वीरता के साथ साथ रहस्य के भी कई किस्से हैं।
क्यों रहस्यमयी है किला
इस किले का मंजर जितना भव्य है उतनी ही इसकी ऊंचाई लोगों के डरा जाती है। जमीन से 800 फीट ऊची पहाड़ी पर बना इस किले में अंदर जाने के लिए सात दरवाजे है। सातों ही दरवाजे एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। यहां की दीवारों पर खंभो पर कुछ उकेरा हुआ है। कुछ लिखा हुआ है। कहा जाता है कि ये जो लिखावट है वो दफन खजाने का पता है। इन लिपियो में किले के खजाने का रहस्य छुपा हुआ है। कई लोगों का मानना है कि अगर ये लिपी पढ़ी जाए तो शायद किले के रहस्य से ही परदा हटे कि आखिर ये आलिशान दुर्ग रात में क्यों अजीबो गरीब हो जाता है।
कालिंजर के किले के अंदर कई साम्राज्य की कहानी एक साथ देखी जा सकती है। इस पर तीन बडे राजपूत चंदेल सहित सोलंकियो का राज रहा। इस पर पांच मुगल शासको ने भी आक्रमण किया। आखिरकार इस दुर्ग को अकबर ने जीता और बीरबल को तोहफे में दे दिया।
इस किले में भगवान शिव ने की थी साधना
इस दुर्ग के अंदर कई सारे मंदिर भी है और कई सारी गुफाऐ भी । गुफाऐं किले से निकलती है लेकिन कहृां खुलती है किसी को नहीं पता। ये सारे मंदिर तीसरी से पांचवी सदी गुप्त काल के है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने विष पीने के बाद यही आकर तपस्या की थी और
विष की ज्वाला को शांत किया था।
किले के अंदर बने नीलकंठ मंदिर है जिसे कहते है नागो ने बनवाया था और इसकी कहानी पुराणो में भी मिलती है। इस मंदिर के अंदर बना शिवलिंग बहुत पुराना है। नागो के बनाए जाने के चलते कहते है मंदिर के ऊपर से जलकी धारा आती है जो बारहो महीने शिवलिंग पर गिरकर जल का अभिषेक करती रहती है। यहां पर सीता सेज नाम की गुफा भी है और सीता कुंड भी इस कुंड में नहाने से चर्म रोग दूर होते है।
मुगल राजाओं ने किया था आक्रमण
प्राचीन काल में यह किला जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के आधीन था। बाद में यह 10वीं शताब्दी तक चन्देल राजपूतों के अधीन और फिर रीवा के सोलंकियों के आधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे योद्धाओं ने आक्रमण किए, लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कालिंजर विजय अभियान में ही तोप का गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी।