IPS kailash makwana transfer:DG लोकायुक्त मकवाना कर रहे थे महाकाल लोक घोटाले की जांच,सरकार ने किया तबादला

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सवालों में लोकायुक्त DG मकवाना का तबादला

मध्य प्रदेश में शुक्रवार को हुए प्रशासनिक फेरबदल के बाद सवाल उठने लगे हैं। इन तबादलों में लोकायुक्त डीजी और 1988 बैच के IPS कैलाश मकवाना का नाम भी शामिल है। सरकार ने उसके स्थान पर CM के OSD और 1996 बैच के IPS योगेश चौधरी को लोकायुक्त का नया ADG बना दिया है। जबकि मकवाना को मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। दरअसल मकवाना के तबादले से चर्चाओं का बाजार इसलिए गर्म है क्योंकि एक तो उन्होंने महाकाल कॉरिडोर में कथित घपले की जांच शुरू कराई थी दूसरा योगेश चौधरी सीएम के खास अधिकारी माने जाते हैं।

सीएम ने मंच से किया था CEO को निलंबित

बता दें सीएम शिवराज सिंह चौहान इन दिनों वैसे तो भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकायत पर तत्काल कार्रवाई कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने पेसा एक्ट को लेकर बुलाए गए सम्मेलन में बड़वानी जिले के सेंधवा सीईओ को लापरवाही पर निलंबित किया था तो इससे पहले भी कई अधिकारियों के खिलाफ सीएम कार्रवाई कर चुके हैं।  लेकिन दूसरी ओर लोकायुक्त डीजी कैलाश मकवाना जो भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाए हुए थे उन्हें हटाकर वे सवालों में घिरते नजर आ रहे हैं।

मकवाना ने तेज की थी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई

दरअसल IPS कैलाश मकवाना ने जब से लोकायुक्त DG की कमान संभाली थी, तभी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेज हो गई थी। प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए बहुचर्चित महाकाल कॉरिडोर में कथित घोटाले की जांच भी कैलाश मकवाना ने ही शुरू कराई थी। इसके अलावा मकवाना के आने से भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा था। इतना ही नहीं मकवाना के रहते भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार छापे की कार्रवाई हुई। यहा तक की उन्होंने अपने स्टाफ को भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फ्री हैंड दे रखा था।

मकवाना छह महीने रहे लोकायुक्त डीजी

हैरानी की बात यह है कि मकवाना को 6 महीने में ही लोकायुक्त डीजी पद से हटा दिया। वहीं लोकायुक्त में के ओएसडी योगेश चौधरी को भेजा जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस तबादले के बाद से प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि क्या चुनावी तैयारियों के लिए सरकार ने यह बड़ा फेरबदल किया हैघ् प्रदेश में आर्थिक गड़बड़ीए भ्रष्टाचार की जांच की सबसे बड़ी ईकाई लोकायुक्त ही है और सरकार इस पद पर अपने पसंदीदा अधिकारी को ही भेजती है।

ईमानदार छवि के अधिकारी हैं मकवाना

जब से कैलाश मकवाना ने लोकायुक्त डीजी की कमान संभाली थी,तभी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई थी। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए बहुचर्चित महाकाल कॉरिडोर में हुए कथित घोटाले की जांच भी मकवाना ने ही शुरू करवाई है। इसके अलावा मकवाना के आने से भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा था। मकवाना के रहते भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार छापे की कार्रवाई हुई।

कांग्रेस विधायक ने की थी महाकाल कॉरिडोर घोटाले की शिकायत

दरअसल कांग्रेस विधायक महेश परमार ने उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर के पहले चरण के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत लोकायुक्त पुलिस संगठन से की थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त ने 3 आईएएस अधिकारियों के साथ ही 15 अधिकारियों को नोटिस थमा दिए थे। लोकायुक्त के नोटिस में तीन IAS उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, स्मार्ट सिटी उज्जैन के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता का नाम भी शामिल हैं। शिकायर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के लिए SOR की दरें और सामग्री को बदलने का आरोप है। लोकायुक्त ने नोटिस में कहा था कि जांच में प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित पाए गए हैं।

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