जानें क्या है भारत की टेरिटोरियल आर्मी या प्रादेशिक सेना…आर्मी चीफ को मिली इस स्पेशल सेना को बुलाने की ये शक्ति

जानें क्या है भारत की टेरिटोरियल आर्मी या प्रादेशिक सेना…आर्मी चीफ को मिली इस स्पेशल सेना को बुलाने की ये शक्ति

भारत सरकार की ओर से भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र दि्वेदी को टेरिटोरियल आर्मी यानी प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और प्रत्येक भर्ती व्यक्ति को जरुरी सुरक्षा प्रदान करने या नियमित सेना का समर्थन और पूरक बनने की शक्तियां प्रदान कर दी हैं।

पिछले दिनों यह निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में लिया गया है। जिसके तहत भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ सटीक सैन्य कार्रवाइयां कीं। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने और आपातकालीन परिस्थितियों में भारतीय सेना की तत्परता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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केंद्र सरकार ने पिछले दिनों एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें भारतीय सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना नियमों के तहत विशेष शक्तियाँ प्रदान कीं गईं। इस अधिसूचना के तहत भारतीय सेना प्रमुख अब प्रादेशिक सेना के सभी अधिकारियों और जवानों को बुलावा भेज सकते हैं।

आवश्यक सुरक्षा प्रदान करना, इसके तहत रणनीतिक स्थानों और बुनियादी ढांचे के साथ संदेनशील क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

नियमित सेना का समर्थन और सप्लीमेंट बनना, इसके तहत युद्ध, आपदा या दूसरी आपातकालीन परिस्थितियों में नियमित सेना की क्षमता को बढ़ाना है।

भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में यह निर्णय विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बता दें पिछले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत लगातार पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का रहा है। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर-1 के तहत 7 मई को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों निशाना बनाया उनको नष्ट किया है। इसके बाद से ही पाकिस्तान बोखला गया है। उसने 7 और 8 मई की रात को भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर ड्रोन के साथ मिसाइल से हमले की कोशिश की। जिसे भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया।

क्या है प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी

प्रादेशिक सेना या टेरिटोरियल आर्मी भारत की सशस्त्र सेनाओं का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक नागरिक बल है। जिसे टेरिटोरियल आर्मी एक्ट के तहत साल 1949 में स्थापित किया गया था। साल 1949 में गठन किये गये इस प्रादेशिक सेना का मुख्य उद्देश्य नियमित सेना को युद्ध और आपदा के साथ ही अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता प्रदान करना है। प्रादेशिक सेना में शामिल होने वाले जवान और अधिकारी सामान्य नागरिक की ही तरह जीवन जीते हैं। लेकिन वे समय-समय पर सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं। ड्यूटी के लिए बुलाए भी जाते हैं।

क्या है प्रादेशिक सेना की विशेषता

इसकी संरचना की बात करें तो प्रादेशिक सेना में पैदल सेना, सिग्नल्स, इंजीनियरिंग और रसद जैसे विभिन्न विभाग शामिल हैं। इसमें इकाइयां जैसे इन्फैंट्री बटालियन के साथ इकोलॉजिकल टास्क फोर्स और रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट को शामिल किया गया है।
इसमें भर्ती के लिए 18 से 42 वर्ष की आयु का भारतीय नागरिक, जो शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हों। प्रादेशिक सेना में भर्ती होने के लिए योग्य हैं। इसमें पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं।

प्रादेशिक सेना का प्रशिक्षण की बात करें तो प्रादेशिक सेना के जवानों को नियमित रुप से भारतीय सेना के समान प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। जिसमें हथियारों को चलाने के साथ युद्ध रणनीति और आपदा प्रबंधन शामिल हैं। उपयोगिता की बात करें तो प्रादेशिक सेना को साल 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्ध के दौरान तैनात किया जा चुका है।

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