नई दिल्ली। सरकार अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाने जा रही है। यह भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के बिल्कुल करीब से गुजरेगा। इसे ‘फ्रंटियर हाईवे’ का नाम दिया है और यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के करीब होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय इस 1,748 किलोमीटर लंबी टू-लेन सड़क का निर्माण करेगा। उत्तर-पूर्व खासकर अरुणाचल में चीन के बार-बार घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है और इसे NH-913 के नाम से जाना जाएगा।
- 18 दिसंबर को पीएम शिलांग में थे
- उन्होंने उत्तर पूर्व को हजारों करोड़ की परियोजनाएं दी
- फ्रंटियर हाइवे उनमें से एक है
- यह सीमा से लगती सबसे लंबी सड़क योजना है
चीन को है मुंहतोड़ जवाब
चीन एलएसी पर अपनी तरफ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है जिसके जवाब में भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादे ढ़ांचे को मजबूत कर रहा है। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह राष्ट्रीय राजमार्ग बोमडिला से शुरू होगा और नफरा, हुरी और मोनिगोंग से होकर गुजरेगा। यह भारत-तिब्बत सीमा पर निकटतम बिंदु है। यह सड़क जिदो और चेनक्वेंटी से भी गुजरेगी, जो चीन सीमा के सबसे करीब हैं।
लगभग 800 किमी का गलियारा ग्रीनफील्ड होगा। इस हाइवे को 9 हिस्सों में बांटा गया है। 2024-25 में इस प्रोजेक्ट के सभी कार्यों की स्वीकृति हो जाएगी। आमतौर पर निर्माण पूरा होने में लगभग 2 साल लगते हैं। पूरी परियोजना के 2026-27 तक पूरा होने की उम्मीद है। ’ इस प्रोजेक्ट को लेकर पहली बार 2016 में ‘एम्पावर्ड कमेटी ऑन बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर’ ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) बनाने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कल कहा भी था कि डंके की चोट पर सीमा क्षेत्रों में निर्माण हो रहा है, उत्तर पूर्व को पूरे देश से जोड़ा जा रहा है। इस फ्रंटियर हाईवे से कनेक्ट होने के लिए अरुणाचल प्रदेश में इंटर-कॉरिडोर विकसित करने का भी प्रस्ताव है। ऐसी सड़कें और विकास कार्य यहां के गांवों से पलायन पर रोक लगाएंगे।