बिहार की नीतीश सरकार ने आनंद मोहन सिंह को जेल से रिहा करके बड़ा संकट खड़ा कर लिया है। बात सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रही है। इसका दूसरे राज्यों में भी होने लगा है। इसी कड़ी में यूपी के आइएएस एसोसिएशन ने बिहार सरकार से बड़ी मांग करते हुए स्पष्ट कह दिया कि इस तरह निर्णय दूसरे अफसरों का मनोबल गिरा रहे हैं आप तत्काल इस निर्णय को बदलने की पहल करिए।
बिहार में जिस तरह से बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह को जेल से रिहा करने के लिए कानून में बदलाव किया गया है वो काफी चिंताजनक है। पूरे देश के अफसरों इस बदलाव से नाराजगी है। उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसर भी काफी नाराज हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्ति दर्ज कराते हुए निर्णय बदलने की मांग की है। आइएएस एसोसिएशन का कहना है कि एक आइएएस की हत्या के दोषी आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा दी गई। उसे जेल से कैसे रिहा किया जा सकता है। बिहार सरकार तत्काल इस निर्णय को वापस ले। उत्तर प्रदेश के पूर्व आइएएस अधिकारियों ने भी नीतीश सरकार की निंदा की है और चेतावनी देते हुए कहा कि निर्णय को वापस लिया जाना चाहिए। अन्यथा हमारे पास भी लोकतांत्रिक अधिकार है। केंद्र सरकार में सचिव रहे रिटायर आइएएस अधिकारी विजय शंकर पांडे ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि निर्णय पर पुन: विचार किया जाना चाहिए। इसी तरह यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए अपने ट्वीट में यहां तक कह दिया कि बिहार में जितने भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है उन्हे शांतिपूर्ण ढंग से बिहार सरकार की कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रदर्शन करना चाहिए।
गोपालगंज के डीएम की हत्या के दोषी हैं आनंद मोहन
वर्ष 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी.कृष्णय्या की हत्या भीड़ के बीच कर दी गई थी। इस मामले में जांच होने पर बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह को पकड़ा गया था। न्यायालय ने उन्हे पहले फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में अपील हुई और निर्णय बदलते हुए आनंद मोहन को फांसी की सजा उम्र कैद में बदल दी गई थी।अभी आनंद उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले पैरोल पर बाहर आए इसके बाद कानून में बदला किया गया जिसके तहत उन्हे जेल से रिहा कर दिया गया।
वीडियो भी हुआ था वायरल
इससे पहले एक वीडियो भी मीडिया में आया था जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच से भाषण देते दिखाई दिए थे। कुछ देर रुके और आम जनता की बात कान लगाकर सुनने लगे। भीड़ की मांग थी कि आनंद मोहन की रिहाई की जाए। इस पर नीतीश ने भरोसा दिलाया था कि हम रिहाई के प्रयास कर रहे हैं। कुछ राजनैतिक कारणों की वजह से मामला अटका हुआ है हम जल्द ही उन्हे जेल से बाहर लाने में कामयाब हो जाएंगे। इसके बाद भी जेल के मैन्युअल में बदलाव हुआ और आनंद मोहन के साथ 27 अन्य कैदियों को रिहा कर दिया गया।