हिट एंड रन कानून: इसलिए हो रहा ये विरोध, हादसे के बाद भागे नहीं तो पब्लिक पीटेगी,भाग गए तो लगेगा जुर्माना होगी इतनी सजा

हिट एंड रन मामले में कानून के नए प्रावधानों के विरोध में देशभर में ट्रक ड्राइवरों ने वाहन चलाने से इनकार कर दिया है। नतीजा, जगह-जगह भारी वाहन सड़कों पर खड़े हो गए हैं। इसके चलते पेट्रोल-डीजल, सब्जी जैसी अति आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर असर दिख रहा है।

दरअसल हिट एंड रन कानून में बीते संसद के शीतकालीन सत्र में अहम बदलाव किए गए हैं, जो अप्रैल से लागू होंगे। इन्हीं बदलावों की वजह से इसको लेकर विरोध हो रहा है। नए हिट एंड रन कानून की बात करें तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 के तहत जो लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई के लिए बाध्य है। आसान शब्दों में समझें तो वाहन चालक के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से किसी की मौत होती है और ड्राइवर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है तो 10 साल तक सजा और 7 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा। इससे पहले हिंट एंड रन कानून में आईपीसी की धारा 279, ड्राइवर की पहचान के 304ए और धारा 338 जान जोखिम में डालना जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज होता था। इसमें दो वर्ष की सजा का ही प्रावधान था। ऐसा तब था जब ड्राइवर बिना सूचना दिए भाग जाए। लेकिन नए हिट एंड रन कानून अब ट्रक चालकों की चिंता का कारण बन गया है। दरअसल हादसे के बाद की स्थिति में मौके पर रहना वाहन चालकों के लिए संभव नहीं है। क्योंकि मौके पर रहने की स्थिति में वे भीड़ के गुस्से का शिकार हो सकते हैं। इसकी संभावना ज्यादा होती है। लिहाजा ज्यादातर ड्राइवर वाहन छोड़कर या लेकर वहां से भाग जाते हैं। अब वे नहीं भागेंगे तो घटनास्थल पर मौजूद नाराज लोग उनके साथ मारपीट कर सकते हैं, पिटाई के डर से भागे तो बाद में 10 साल की सजा और 7 लाख रुपये का जुर्माना दोनों ही उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा।

कानून के विरोध में खड़े कर दिए वाहन

हिट एंड रन मामले में कानून के नए प्रावधानों के विरोध में देशभर में ट्रक ड्राइवरों ने वाहन चलाने से इनकार कर दिया है। नतीजा, जगह-जगह भारी वाहन सड़कों पर खड़े हो गए हैं। इसके चलते पेट्रोल-डीजल, सब्जी जैसी अति आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर असर दिख रहा है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, समेत 10 राज्यों से पेट्रोल-डीजल पंप ड्राई होने की खबरें हैं। यहां पेट्रोल पंप पर वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इसके साथ ही फल, सब्जी, दूध, कृषि के सामानों की सप्लाई प्रभावित हो रही है। कई जगह प्रशासन ट्रांसपोर्टर्स से संपर्क कर आपूर्ति बहाल करवाने में लगा है। इस बीच ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष अमृतलाल मदान ने कहा अभी ट्रांसपोर्टर्स ने हड़ताल की घोषणा नहीं की है। इस पर फैसला दिल्ली में होने वाली बैठक में होगा। अभी ड्राइवर खुद ही गाड़ियां छोड़कर उतर रहे हैं। दूसरों को भी चलाने नहीं दे रहे हैं। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में है। मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत कई शहरों में बस नहीं चल रहीं हैं। अकेले इंदौर में करीब 900 बस बंद हैं। यहां एसोसिएशन के पदाधिकारी विजय कालरा ने कहा प्रदेश में छह लाख ट्रक हैं। डेढ़ लाख ट्रक दो दिन से खड़े हैं। औपचारिक ऐलान से स्थिति बिगड़ सकती है। ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा देश में 95 लाख ट्रक हैं। 30 लाख से ज्यादा का परिचालन नहीं हो रहा है। इसके अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ​​​​​​में भी हालात बिगड़ने की आशंका दिखाई दे रही है।

ट्रक चालक सड़क पर वाहन छोड़ गए

केंद्र सरकार के हिट एन रन कानून में संशोधन का ड्रायवर विरोध कर रहे हैं। जिसका असर सड़कों पर दिखने लगा है। देशभर में ट्रक ड्राइवरों ने वाहन चलाने से इनकार कर दिया है। नतीजा, जगह-जगह भारी वाहन सड़कों पर खड़े हो गए हैं। इसके चलते पेट्रोल-डीजल, सब्जी जैसी अति आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर असर दिख रहा है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, समेत 10 राज्यों से पेट्रोल-डीजल पंप ड्राई होने की खबरें हैं। चूंकि, ट्रक और वाहनों के पहिये थमने लगे हैं। इसलिए आगामी दिनों में इसका असर और तेज दिखाई देगा। मध्यप्रदेश के कई शहरों में पेट्रोल पंपों पर काफी भीड़ नजर आई। ड्रायवरों ने कई मार्ग बाधित कर दिये। जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने हिट एंड रन कानून में बदलाव किया है। जिसमें दो की जगह 10 साल की सजा का प्रावधान किया है। साथ ही एक्सीडेंट होने की स्थिति में थाने से जमानत नहीं होगी। घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाने पर सजा होगी। यह कानून वैसे तो एक अप्रैल से लागू होगा, लेकिन इसका विरोध अभी से शुरू हो गया है जो कि देशव्यापी रूप लेने लगा है। यह कानून इसलिए गलत है कि ड्रायवर अगर एक्सीडेंट होने के बाद स्पाट से भागते हैं तो उसे दस साल की सजा हो सकती है। इसमें विरोध का जायज पक्ष यह है कि एक्सीडेंट कोई भी जानबूझकर नहीं करता है। एक्सीडेंट हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर ड्रायवर वहीं मौजूद रहता है तो ड्रायवरों को आम पब्लिक कई बार बेरहमी से मारपीट करती है। इस डर से ही वाहन चालक भाग जाते हैं।

पंद्रह साल पुराने सब वाहन कंडम नहीं!

वहीं पन्द्रह साल पुराने वाहनों को बाहर करने के फैसले पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। कहने को ये वाहन कंडम कहलाते हैं, लेकिन जो लोग इन वाहनों को चलाते हैं उनकी आर्थिक स्थिति भी वाहनों की तरह कंडम ही होती है। ऐसे में इन लोगों के ये वाहन कंडम घोषित हो जाते हैं तो इनको चलाने वालों की जिंदगी और परिवार पर असर पड़ सकता है। ये वाहन कई लोगों का परिवार का पोषण करते हैं। जो वाहन आरटीओ की ओर से फीटनेस में फीट नहीं बैठते है। उन्हें बेशक बाहर कर देना चाहिए, लेकिन जो वाहन फीट हैं उन्हें बाहर करना या उनके लिए ज्यादा फीस लेना अनुचित ही है। जो दोपहिया वाहन पांच-दस हजार का है उसे बदलकर लाख दो लाख में वाहन खरीदना गरीबों के बस की बात नहीं है। ऐसे में यह कानून भी गलत ही लगता है। आए दिनों हेलमेट का दबाव-दोपहिया वाहन चालकों पर अकसर हेलमेट पहनने का दबाव बनाया जाता है। कभी हाईकोर्ट आदेश कर देती है तो कभी पुलिस का विशेष अभियान जताया जाता है। जिसमें दोपहिया वाहन चालकों से जमकर वसूली की जाती है। वास्तव में दोपहिया वाहन चालक हेलमेट इसलिए नहीं पहनते कि उन्हें इसे पहनने के बाद गाड़ी चलाने में तकलीफ होती है।

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