हिमाचल में कांग्रेस ने बहुमत के जादुई आंकड़े के छू लिया है । इस बीच हिमाचल से खबर आ रही है कि वहां कांग्रेस की पूर्व अध्य़क्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दोनों सक्रिय हो चुके है और अपने विधायकों की कहीं शिफ्टिंग की जा सकती है। क्या कारण है कि जीत के साथ ही कांग्रेस को सताने लगा है “ऑपरेशन लोटस” का डर
कांग्रेस विधायकों को किया जा सकता है शिफ्ट
हिमाचल में परंपरा के अनुसार ही जनता ने नतीजे दिए। हिमाचल के नतीजों में जनता ने पांच साल बाद सरकार बदल दी। हिमाचल में तस्वीर साफ हो चुकी है, कांग्रेस बहुमत में है। कांग्रेस की सरकार बनते देख सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गांधी सक्रिय हो चुकी हैं. खबर है कि कांग्रेस अपने विधायकों को कहीं शिफ्ट कर सकती है। कांग्रेस अगर विधायकों को शिफ्ट करेगी तो राजस्थान या छत्तीसगढ़ में ही विधायकों की शिफ्टिंग होगी। लेकिन क्या वजह है कि कांग्रेस को विधायकों को शिफ्ट करना पड़ा।
क्यों शिफ्ट करे जा रहे हैं विधायक
दरअसल पूरे बहुमत के बाद भी कांग्रेस को विधायक शिफ्ट करने पड़ रहे हैं उसकी सबसे बड़ी वजह है कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति । कांग्रेस के अंदरूनी राजनीति कुछ ऐसी है कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार बहुत हैं। कांग्रेस को डर है कि कहीं मुखयमंत्री पद की दावेदारी और मुख्यमंत्री बनने की महत्तावकांक्षी पार्टी पर भारी न पड़ जाए। कांग्रेस को डर है कि- दावेदारों की महत्तावकांक्षी पार्टी तोड़ सकती है।
कौन कौन हैं मुख्यमंत्री पद के दावेदार
कांग्रेस में हिमाचल में मुख्यमंत्री पद के लिए तकरीबन आधा दर्जन दावेदार थे। इन दावेदारों में से आशा कुमारी और कौल सिंह चुनाव हार गए। इन दोनों के चुनाव हारने के बाद भी मुकेश अग्निहोत्री हरौली के विधायक, सुखविंदर सिंह सुक्खू नादोन विधायक, प्रतिभा सिंह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी है और हर्षवर्धन चौहान जो छटवीं बार के विधायक है वो अपनी दावेदारी जता रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने समस्या ये है कि मुख्यमंत्री पद किसी एक को ही दिया जा सकता है। ऐसे में अगर दूसरे नेता या उनके समर्थक विधायक नाराज हो गए तो वो पार्टी से बगवात कर सकते हैं। इसी बगवात का फायदा दूसरा दल उठा सकता है।
कांग्रेस का डर बगावत कर सकते है दावेदार
कांग्रेस को डर है कि मुख्यमंत्री पद पर किसी एक को ही चुनना पड़ेगा। ऐसे में जो मुख्यमंत्री नहीं बन सके वो अपने समर्थकों के साथ पाला बदल सकते हैं। कांग्रेस को डर है कि उनके विधायकों के बगावत को बीजेपी कभी भी कैश करा सकती है। अगर बागी विधायकों ने बीजेपी का साथ दे दिया तो कांग्रेस के हाथ से हिमाचल भी चला जाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस नतीजों के साथ ही राजभवन नहीं रिसोर्ट की ओर रूख कर रही है।