हिमाचल इलेक्शन किसका होगा सिलेक्शन, राज बदलेगा या रिवाज, फैसला 8 दिसंबर को

बीजेपी कांग्रेस में कांटे का मुकाबला

1985 के बाद से यहां कभी रिपीट नहीं हुई कोई सरकार

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटों पर हुए चुनाव के लिए बंपर वोटिंग देखने को मिली और मतदान करीब 74.61 प्रतिशत तक पहुंच गया। हालांकि पिछले चुनाव से कम रहा था। इस मत प्रतिशत ने बीजेपी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए एक अहम परीक्षा है जो सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। हिमाचल चुनाव की मतगणना भी गुजरात के साथ 8 दिसंबर को होगी।
विधानसभा चुनावों का इतिहास भले ही यह कह रहा है कि वहां कोई रिपीट नहीं होता लेकिन यह सदा हो ऐसा नहीं है। राज्य में दोनों बड़े दलों बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी एड़ी चोड़ी की ताकत लगा दी है। माना जा रहा है कि 1985 के बाद से यहां कभी कोई सरकार रिपीट नहीं हुई। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही भाजपा ने कहा राज नहीं रिवाज बदलो। 8 दिसंबर को देखेंगे क्या बदलता है। तीसरी पार्टी आप भी शुरुआती दौर में चर्चा में आई थी। लेकिन गुजरात की घोषणा के बाद वह शिफ्ट होकर गांधीनगर फोकस हो गई थी।

दांव पर भाजपा का साख

हिमाचल में यह रिवाज पिछले साढ़े तीन दशकों से चल रहा है कि एक बार सत्ता में भाजपा रहती है तो दूसरी बार कांग्रेस। लेकिन इस बार भाजपा ने हिमाचल में मिशन रिपीट चलाया है। इसका सफल होना या न होना तो जनता के मूड पर निर्भर करेगा। लेकिन भाजपा की साख हिमाचल में कई मायनों में दांव पर लगी हुई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा का यह गृह राज्य है। ऐसे में यहां भी रिवाज बदलकर भाजपा अपना राज नहीं रख सकी तो राजनीतिक मुश्किलें बढेंगी। खासकर 2024 में होने वाले आम चुनाव में भाजपा की तैयारियों को धक्का लग सका है।
पहाड़ की मुख्य दो पार्टियों में शामिल बीजेपी कांग्रेस के घोषणा पत्र को देखें तो समझ आता है। यहां पर किसने कितनी ताकत लगा रखी थी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को स्थानीयता पर फोकस रखा तो बीजेपी ने राष्ट्रीयता का पुट दिया। कांग्रेस के वायदों में लोक लुभावनता का भारी समावेष किया था जबकि बीजेपी के घोषणा पत्र में फिलवक्त से ज्यादा आने वाले दिनों में और क्या बेहतर कर सकेंगे की छाया दिखाई दी थी।
राजनीतिक दलों का काम यह नहीं कि वे ऐसे वादे करें जिन्हें पूरा करने के लिए राज्य की आर्थिक, सामाजिक शक्ति को दांव पर लगाना पड़े। ऐसे वादों में कांग्रेस के वादे भी शामिल रहे तो भाजपा के भी। भाजपा ने सीधे फायदे वाला कोई वादा नहीं किया था लेकिन कांग्रेस ने ऐसे वादों की झड़ी लगा रखी थी । बीजेपी ने बख्फ की संपत्तियों के सर्वे की बात कहकर जरूर पहाड़ में चल रही गैरहिंदू एक्टिविटी को टटोलने और उसके प्रति हिमाचल के मानस में चल रही प्रतिक्रिया को भांपने की कोशिश की। अब 8 दिसंबर को नतीजे बताएंगे हिमाचल लोक लुभावन मतदाताओं का राज्य है या कि आत्मनिर्भर मतदाताओं का।

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