हरियाणा विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। मुख्य दल कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां सीधा मुकाबला माना जा रहा है। सत्तारुढ़ बीजेपी जहां सत्ता की हैट्रिक लगाने की कवायद में जुटी है तो वहीं कांग्रेस 10 साल के बाद सत्ता में अपनी वापसी के लिए बेताब दिखाई दे रही है।
25 सीट पर हार जीत का अंतर 5 हजार वोट से कम
- हरियाणा विधानसभा में 90 सीट
- सभी 90 सीटों पर एक ही चरण में 5 अक्टूबर को मतदान
- दमखम के साथ मैदान में उतरने लगे सियासी दल पूरे
- चुनाव में 25 सीटों पर राजनीतिक दलों की क्लोज फाइट
- इन सीटों पर दोनों ही दलों का सबसे ज्यादा फोकस
- पिछले चुनाव में 1 हजार से 5000 तक रही हार और जीत का अंतर
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ही दल कांग्रेस और बीजेपी के बीच चुनावी लड़ाई फिफ्टी-फिफ्टी की रही थी। ऐसे ही इस बार विधानसभा चुनाव में भी टाइट फाइट की संभावना बढ़ गई है। खास कर राज्य की 25 सीटों ने सियासी दलों की चिंता बढ़ा दी है। यह वो सीटें हैं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में क्लोज फाइट हुई थी। इस 25 विधानसभा सीटों पर अब सभी की नजरें लगी हुई हैं। इन सीटों पर चंद वोटों भी इधर से उधर हो जाते हैं तो सत्ता में आने का सपना टूट सकता है।
क्लोज फाइट वाली 25 सीटों पर सभी सियासी दल की निगाहें
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में इस बार कम मार्जिन वाली इन सीटों पर चंद वोटों के इधर-उधर होने से राजनीतिक दलों का सारा खेल बिगड़ सकता है। जिस तरह से तमाम क्षेत्रीय दल भी इस बार के चुनाव मैदान में दम लगा रहे हैं। निर्दलीय भी अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं। ऐसे में 2019 की क्लोज फाइट वाली इन 25 सीटों पर सभी सियासी दल की निगाहें लगी हैं।
हरियाणा में साल 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे। 2019 के चुनाव में राज्य की 25 विधानसभा सीटों पर चुनावी मुकाबला कांटे का रहा था। इन 25 सीटों पर प्रत्याशी की जीत-हार का अंतर 5 हजार वोट से कम ही था। 25 में से तीन सीट तो ऐसी थी जिन पर जीत-हार का मार्जिन 1000 वोटों से भी कम का रहा था। जबकि 7 विधानसभा सीट पर जीत-हार का फैसला एक से दो हजार वोट के बीच रहा था।
वहीं 15 विधानसभा सीटों पर हार जीत का अंतर 2 से 5 हजार के बीच का रहा था। बता दें टाइट फाइट वाली इन 25 सीटों में से 12 विधानसभा सीट कांग्रेस ने जीती थी। 9 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। जबकि 4 सीट निर्दलीय और अन्य प्रत्याशी के खाते में गई थी।
तीन सीट पर हार जीत का अंतर एक हजार वोट से कम
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक हजार से कम अंतर वाली तीन सीटें थीं। जिनमें
पुन्हाना,, सिरसा और थानेसर शामिल है। सिरसा विधानसभा सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी प्रमुख गोपाल कांडा बतौर प्रत्याशी महज 602 वोट से चुनाव जीते थे। वहीं पुन्हाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक मो.इलियास ने महज 816 वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसी तरह थानेसर विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुभाष सुधा महज 842 वोट से जीत दर्ज किए थे। 1 हजार वोट से कम मार्जिन वाली इन तीन सीटों पर सियासी समीकरण पर गौर करें तो एक-एक सीटें तीन दल बीजेपी कांग्रेस और हरियाणा लोकहित पार्टी के खाते में गई थी।
सात सीट पर एक से दो हजार के बीच हार-जीत का मार्जिन
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में सात सीट ऐसी थीं। जिन पर जीत और हार का अंतर एक से दो हजार वोट के बीच रहा था। इनमें से चार सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों जीत दर्ज की थी। वहीं तीन सीट बीजेपी के खाते में गई थी। इन सात सीटों में कैथल, रेवाड़ी, खरखौदा, रतिया, यमुनानगर, असंध और मुलाना शामिल है। बीजेपी ने रतिया के साथ कैथल और यमुनानगर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को खरखौदा, मुलाना,रेवाड़ी और असंध विधानसभा सीट पर जीत मिली थी। इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच इन सीटों पर कांटे की लड़ाई मानी जा रही है।
5 हजार से कम मार्जिन से 15 सीट पर हार-जीत
2019 में हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की 15 सीट पर जीत और हार का अंतर 2 से 5 हजार वोटों के बीच रहा था। इन 15 सीटों में होडल, नीलोखेड़ी, बड़खल, राय हथीन, फतेहाबाद रादौर, रोहतक, सफीदों, फरीदाबाद एनआईटी, नूंह, बरोदा, गोहाना, गुहला और बरवाला है। इन सीटों में से सात सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं पांच सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। राज्य की जेजेपी को दो सीट पर जीत मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी। इसके अतिरिक्त 7 ऐसी सीट हैं, जिन पर जीत-हार का अंतर 5 से 10 हजार वोटों के अंदर रहा था। इन सीटों में से बीजेपी छह सीट पर तो एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।