इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के मामले में 26 मई को फिर से सुनवाई करने जा रहा है। वाराणसी की अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने का आदेश दिया था। इसके साथ ही सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं के मुद्दों पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है। इससे पहले सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर नहीं था। इतना ही नहीं उसने वाराणसी के भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर को नहीं तोड़ा था। इस पर अभा. हिंदू महासभा,संत महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मुस्लिम पक्ष की दलील पर नाराजगी जताई और उसे आड़े हाथों लेते हुए कहा ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से औरंगजेब को क्लीन चिट देना निंदनीय है। इतना ही नहीं उसके पाप की पैरवी करना तो अति निंदनीय हैं
- ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का मामला
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
- दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद रखा फैसला सुरक्षित
- मामले में 26 मई को फिर से होगी सुनवाई
- मुस्लिम पक्ष की दलिल औरंगजेब नहीं था क्रूर
- ‘औरंगजेब ने नहीं दिया था मंदिर तोड़ने का आदेश
- स्वामी चक्रपाणि महाराज ने लिया मुस्लिम पक्ष को आड़े हाथों
- अभा.हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं स्वामी चक्रपाणि महाराज
- ‘औरंगजेब को क्लीन चिट देना निंदनीय’
- ‘औरंगजेब के पाप की पैरवी करना अति निंदनीय’
- हिन्दूपक्ष की दलील,परिसर में बना शिवलिंग स्वयंभू
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई
बता दें कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। साथ ही फैसला आने तक सर्वे कराने के वाराणसी की अदालत के आदेश पर लगी रोक बढ़ा दी गई थी। फैसला लिखाते समय कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर पक्षकारों के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण करने के लिए फिर से सुनवाई का आदेश दिया गया है। यह आदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया की ओर से दिया गया है। दीवानी मुकदमे की वैधता और ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आदेश के संबंध में वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय 26 मई को फिर से सुनवाई करेगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं, वाराणसी कोर्ट के सर्वे आदेश पर रोक को फैसला सुनाए जाने तक के लिए बढ़ा दिया गया है। कोर्ट ने फैसला लिखते हुए पक्षकारों के वकीलों से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण के लिए फिर से सुनवाई का आदेश दिया है।
बता दें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे जस्टिस ने यह आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह प्रस्तुत किया गया है कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के तहत दीवानी मुकदमा चलने योग्य नहीं है। यह तय कानून है कि एक आदेश पारित किया गया है और कोई अन्य कानूनी उपाय उपलब्ध नहीं है। जिसे अनुच्छेद के तहत एक याचिका में चुनौती दी जा सकती है।
भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू भगवान-मंदिर पक्ष
वहीं मंदिर पक्ष की ओर से कहा गया कि भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू भगवान हैं। वे प्रकृति द्वारा दिए गए हैं। मानव निर्मित नहीं। उन्होंने इस मुद्दे पर सिद्दीकी वि. महंत सुरेश दास और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा जाता था कि मूर्ति स्वयंभू है। इसलिए इस मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 लागू नहीं होगी। मंदिर पक्ष ने यह भी कहा कि आदेश सात नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता के आवेदन पर मामले के तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
वाराणसी कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया
बता दें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग परीक्षण और वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए दायर याचिका को स्वीकार कर एएसआई को शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग परीक्षण करने का आदेश दिया था। वाराणसी की एक अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण कार्बन डेटिंग परीक्षण कराने से इनकार कर दिया। जिसे चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने लक्ष्मी देवी व अन्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया था। इस याचिका पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और मुख्य स्थायी महाधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय पेश हुए। ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से महाधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और एसएफए नकवी ने याचिका पेश की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील मनोज कुमार सिंह से पूछा कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग की जा सकती है। क्योंकि, इसी पड़ताल से शिवलिंग की उम्र का पता चलेगा। एएसआई ने कहा कि शिवलिंग का कार्बन डेटिंग टेस्ट बिना किसी नुकसान के किया जा सकता है।