सूरत में 6 मंजिला इमारत ढही, 7 की मौत…मलबे के ढेर में जिंदगी की तलाश जारी…!

Gujarat Surat industrial area building collapsedNDRF SDRF

गुजरात के सूरत में भी बारिश के चलते 6 मंजिला इमारत ढह गई। इसके बाद वहां अब तक करीब 7 के मारे जाने की पुष्टि की गई है। वहीं रेस्क्यू अधिकारियों ने अब भी इस 6 मंजिला इमारत के मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई है। बता दें सूरत शहर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में शनिवार दोपहर एक बहुमंजिला इमारत भरभरा कर ढह गई। इसके बाद रविवार सुबह तक बचाव दल ने करीब सात लोगों के शव मलबे से बरामद किये हैं। इस हादसे में एक महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है। एनडीआरएफ ने अपना बचाव अभियान जारी रखा है और मलबा हटाने के प्रयास अभी भी जारी हैं।

इस दर्दनाक घटना में जान गंवाने वाले लोगों की पहचान हीरामन केवट, अभिषेक केवट, शिवपूजन केवट, साहिल, प्रवेश और ब्रिजेश गोंड के रूप में की गई है। वहीं गंभीर रुप से घायल एक व्यक्ति की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। बता दें इमारत गिरने से घायल कशिश शर्मा को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।  हादसे के बाद बचाव अभियान जारी है। आशंका जताई जा रही है कि बिल्डिंग के मलबे के नीचे अभी भी 2-3 और लोग फंसे हो सकते हैं। बता दें हादसे के बाद पहला शव शनिवार रात करीब 9 बजे बरामद किया गया था। उसके बाद दूसरा शव रात 11 बजकर 50 मिनिट पर मलबे से बाहर निकाला जा सका। जबकि तीसरा शव सुबह 4 बजे, चौथा शव सुबह साढ़े चार बजे और तीन और शव सुबह पौने 5 बजे एक साथ बरामद किए गए। मुख्य अग्निशमन अधिकारी बसंत पारीक ने बताय कि अंतिम शव रविवार सुबह छह बजे निकाला जा सका।

घटनास्थल पर मलबे का ढेर

शनिवार को दोपहर करीब पौने तीन बजे इमारत गिरने की सूचना मिली थी। इसके बाद एक महिला को मलबे से बचाया गया। जबकि 15 अन्य घायल हो गए। बचावकर्मियों ने रात भर अथक प्रयास किया और बड़े कंक्रीट स्लैब को हटाया। जिससे घटनास्थल पर मलबे का पहाड़ बन गया था। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कार्यकर्ता फंसे हुए र​हवासियों तक पहुंचने के लिए कंक्रीट को काट रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिल्डिंग के अचानक ढहने के बाद अफरा-तफरी मच गई। कई लोग मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए दौड़ पड़े। इमारत केवल सात साल पुरानी होने के बावजूद, अधिकांश फ्लैट खाली थे और जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थे।

2017 में बनी थी बिल्डिंग

ताश के पत्तों की तरह भराभरा कर गिरने वाली इस इमारत का निर्माण 2017 में किया गया था। जिससे इसके निर्माण की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है। पूरी की पूरी इमारत केवल सात साल में ही ढह गई। इसके निर्माण की प्रक्रिया और प्रयोग की गई निर्माण सामग्री के गुणवत्ताहीन होने की आशंका जताई जा रही है।

सूरत पुलिस आयुक्त अनुपम गहलोत ने कहा, “लगभग पांच फ्लैटों पर कब्जा कर लिया गया था। जिनमें से ज्यादातर लोग इस क्षेत्र में कारखानों में काम करते थे। जब बचाव कार्य शुरू हुआ, तो फंसे हुए लोगों की चीखें सुनीं। एक महिला को मलबे से बचाया और उसे अस्पताल भेजा। इस घटना ने भवन सुरक्षा नियमों और निर्माण मानकों के कार्यान्वयन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे इमारत के ढहने के कारणों और इमारत के निर्माण में शामिल लोगों की जिम्मेदारी की गहन जांच करें। जिससे भविष्य में इस तरह के हादसों से बचा जा सके।

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