भारत में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। 92 साल की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ.मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के पश्चिमी क्षेत्र गाह में हुआ था। जो विभाजन के वक्त पाकिस्तान में चला गया। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ.मनमोहन सिंह एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे। भारत समेत विदेशों में उनका काफी सम्मान था। अब जबकि डॉ.मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। आज देश में उनकी सादगी, उनके नेतृत्व और उनके व्यक्तित्व की मिसाल दी जा रही है।
डॉ.मनमोहन सिंह को बेहद पसंद थी मारुति 800
इन्हीं से जुड़ी डॉ.सिंह के निजी जीवन की कुछ बातें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं। जैसे उन्हें मारुति 800 कार बेहद पसंद थी। डॉ.मनमोहन सिंह अक्सर कहा करते थे कि उन्हें लग्जरी कार में चलना पसंद नहीं, उनकी गड्डी तो मारुति 800 है। दरअसल डॉ.मनमोहन सिंह के सुरक्षा गार्ड रह चुके असीम अरुण ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है। जिसमें एक दिलचस्प किस्से का जिक्र उन्होंने किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि डॉ.मनमोहन सिंह को अपनी मारुति 800 से बहुत लगाव था। असीम अरुण लिखते हैं कि मैं 2004 से लगभग तीन साल तक डॉ. मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात रहा। बॉडी गार्ड के रुप में उनके बेहद करीब रहने का अवसर उन्हें मिला। एसपीजी में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को सबसे अहम माना जाता है।अरुण बताते हैं क्लोज प्रोटेक्शन टीम और उन्हें इस टीम का नेतृत्व करने का अवसर मिला था। यह टीम प्रधानमंत्री से कभी भी अलग नहीं होती। यदि कोई एक बॉडी गार्ड भी उनके साथ रह सकता है, तो वह उसी टीम का व्यक्ति होता है। असीम अरुण बताते हैं डॉ.मनमोहन सिंह जी के पास एक ही कार थी वो थी मारुति 800। प्रधानमंत्री के सरकारी निवास में कई चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू खड़ी रहतीं थीं, लेकिन प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ.मनमोहन सिंह अक्सर उनसे कहा करते थे, असीम, मुझे बीएमडब्ल्यू कार में चलना पसंद नहीं। मेरी गड्डी तो मारुति है।
जब भाई के पैर छूकर मांगी थी माफी
जब डॉ.मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे, उस समय उन्होंने अपने भाई को मिलने के लिए प्रधानमंत्री आवास पर बुलाया था, लेकिन वे एसपीजी और सुरक्षाकर्मियों को बताना भूल गये। जब डॉ.सिंह के भाई प्रधानमंत्री निवास पर पहुंचे तो एसपीजी ने उन्हें रोक लिया, आगे नहीं जाने दिया। बहुत देर बाद किसी ने डॉ.मनमोहन सिंह को जाकर बताया की कोई उनसे मिलने आया है, और गेट पर खड़ा है। तब उन्हें याद आया कि उन्होंने भाई को मिलने के लिए बुलाया था। बस फिर क्या था डॉ.मनमोहन सिंह स्वयं गेट पर आए और अपने भाई के पैर छूकर इसके लिए माफी मांगी कि उन्हें गेट पर खड़े रहना पड़ा।
दादा-दादी ने पाला था, लालटेन में थी पढ़ाई
डॉ. मनमोहन सिंह पाकिस्तान से विस्थापित होकर उत्तराखंड के हल्द्वानी आए थे। बचपन में उनकी मां का देहांत हो गया था। ऐसे में दादा-दादी ने उन्हें पाला। बिजली के आभाव के चलते गांव में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की। उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्हें प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला दिलाया। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही उन्होंने इस कोर्स को छोड़ दिया था।
ऑक्सफोर्ड में की पढ़ाई योजना आयोग में काम आई
डॉ.मनेाहन सिंह ने 1948 में मैट्रिक की थी। उन्होंने कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। वहीं अपने करियर की शुरुआत पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में की थी। साल 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में उन्हें आर्थिक सलाहकार बनाया गया। साल 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किये गये थे। इसके साथ ही 1985 से 1987 योजना आयोग में प्रमुख और 1982 से 1985 आरबीआई के गवर्नर रहे। तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार में 1991 में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था। इन सब जिम्मेदारियों के बीच उन्हें कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड में की गई अर्थशास्त्र की पढ़ाई काम आई। उन्होंने आर्थिक सुधार की दिशा में कई अहम फैसले लिये और उनको क्रियान्वित किया।
आर्थिक सुधार के लिए उठाए कई जरुरी कदम
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ.मनमोहन सिंह का सरकारी सेवा में लंबा और बहुत शानदार करियर रहा है। 1971 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में विदेश व्यापार मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार के तौर पर अपनी यात्रा शुरू की थी। 1972 में वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाए गए, इस पद पर डॉ.मनमोहन सिंह 1976 तक रहे। 1991 में देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था, ऐसे समय उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया थी। तब डॉ.सिंह ने रुपये का अवमूल्यन किया। टैक्स में कटौती की, सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया। साथ ही विदेशी निवेश को भी प्रोत्साहित किया।
7 दिन का राजकीय शोक
डॉ.मनमोहन सिंह के निधन के बाद केंद्र सरकार की ओर से शुक्रवार के सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। सरकार ने डॉ.सिंह के निधन पर सात दिन का राजकीय शोक भी घोषित किया है।
स्वर्गीय मनमोहन सिंह से जुड़ी अहम बातें
- 1957 से 1965- चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक नियुक्त हुए।
- 1969 से 1971- दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार प्रोफेसर के पद पर पदस्थ रहे।
- 1976- दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में मानद प्रोफेसर की उपाधी दी गई।
- 1982 से 1985- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर नियुक्ति किये गये।
- 1985 से 1987- योजना आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर रहे।
- 1990 से 1991- प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रुप में काम किया।
- 1991- नरसिंहराव सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।
- 1991- पहली बार असम से राज्यसभा के सदस्य चुने गये।
- 1996- दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफेसर बनाए गए।
- 1999- दक्षिण दिल्ली की सीट से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे लेकिन हार गए।
- 2001- तीसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए। सदन में कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी भी संभाली।
- 2004 से 2014- डॉ.मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री रहे।
- 2019-2024 छठी बार राज्यसभा सदस्य के रुप में काम किया।
(प्रकाश कुमार पांडेय)