भारत के इस राज्य में नीलाम होगी पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की जमीन…!

पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ और उनके भाईयों के नाम पर दर्ज भारत में करीब 13 बीघा जमीन है। यह जमीन उत्तरप्रदेश के बागपत जिले में स्थित है। जिसे यूपी की योगी आदित्यनाथ अब सरकार बेचने की तैयारी कर रही है। इस जमीन को बेचने के लिए बोली लगाई जाएगी।

बता दें भारत सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही यूपी की योगी सरकार ने शत्रु संपत्ति नियम के तहत इस जमीन को बेचने की कार्रवाई कर रही है। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की यह जमीन बागपत जिले में है। जिसे बेचने के लिए 5 सितंबर तक इसकी नीलामी प्रक्रिया चलेगी।

विभाजन से पहले ही पाकिस्तान चला गया था परवेज का परिवार

बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए विभाजन से पहले मुशर्रफ का परिवार यहां यूपी के बागपत जिले में स्थित कोताना गांव में रहा करता था। परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और मां बेगम जरीन दोनों ही कोताना गांव के रहने वाले थे। मुशर्रफ का यह परिवार विभाजन से पहले साल 1943 में ही दिल्ली जाकर बस गया था। कोताना गांव में उनकी एक हवेली बची थी। अब यह हवेली खंडहर में तब्दील हो चुकी है।

भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन के बाद परवेज मुशर्रफ का परिवार पाकिस्तान में जाकर बस गया था। औश्र आजादी के बाद में भारत सरकार की ओर से बनाए गए नियम कानून के अनुसार मुशर्रफ के पूर्वजों की जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुशर्रफ परिवार की जमीन का कुछ हिस्सा पहले भी बेचा जा चुका है। परवेज मुशर्रफ के भाई के नाम पर भी यहां यूपी के बागपत में संपत्ति थी, जिसे करीब 15 साल पहले सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था।

ऑनलाइन है नीलामी की प्रक्रिया

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के परिवार की कुछ संपत्ति और जमीन खादर तो कुछ बांगर के रिकाॅर्ड में दर्ज की गई है। शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय की ओर से फिलहाल बांगर की संपत्ति को ही नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कराई जा रही है। यह प्रकिया 5 सितंबर तक जारी रहेगी। जमीन नीलामी की यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी की जा रही है। बता दें पाकिस्तानी राष्ट्रपति रहे मुशर्रफ के परिवार की इस संपत्ति की पहली बोली करीब 37 लाख पांच हजार रुपये होगी। इससे शुरूआत होगी। बाद में जिसकी ओर से सर्वाधिक बोली लगाई जाएगी, यह संपत्ति उसके नाम दर्ज कर दी जाएगी।

शत्रु संपत्ति क्या होती है?

भारतीय संसद ने 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम को पारित किया था। इसके अनुसार जो लोग विभाजन के बाद या फिर साल 1965 और 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुई जंग के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली है, ऐसे लोगों की संपत्ति को ही शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है।। ऐसी संपत्तियों पर पूरा अधिकार भारत सरकार का होता है।

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