लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा पर कर्नाटक राज्य में FIR दर्ज की गई है। सैम के NGO फाउंडेशन फॉर रिवाइटेलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन FRLHT पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की जमीन कब्जा करने का आरोप है। बीजेपी नेताओं की शिकायत पर सैम पित्रोदा और उनके NGO के एक सदस्य के साथ फॉरेस्ट डिपार्टमें के चार अधिकारी और एक सेवानिवृत्त IAS अफसर पर केस दर्ज किया गया है। बीजेपी नेता और एंटी बेंगलुरु करप्शन फोरम अध्यक्ष रमेश एनआर ने 24 फरवरी को ED के साथ लोकायुक्त पुलिस संगठन में इस पूरे मामले की शिकायत की थी। जिसकी जांच के बाद आखिरकार केस दर्ज किया गया है।
- लीज 14 साल पहले खत्म…
- कब्जा अब भी बरकरार
- बीजेपी नेता की शिकायत पर एफआईआर
- राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं सैम पित्रोदा
- इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष हैं सैम पित्रोदा
- कर्नाटक राज्य में सैम पर दर्ज हुई FIR
- सैम के NGO पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की जमीन कब्जाने का आरोप
- फॉरेस्ट डिपार्टमें के चार अधिकारियों पर भी मामला दर्ज
- एक सेवानिवृत्त IAS अफसर पर केस दर्ज किया गया
- बीजेपी नेता और एंटी बेंगलुरु करप्शन फोरम अध्यक्ष ने की शिकायत
- रमेश एनआर ने 24 फरवरी को की थी ED और लोकायुक्त से शिकायत
- जांच के बाद आखिरकार दर्ज किया गया केस
सैम पित्रोदा ने पिछले माह दी थी सोशल मीडिया पर सफाई
सोशल मीडिया पर सैम पित्रोदा ने सफाई दी और कहा उनके पास भारत में कोई जमीन-घर या शेयर नहीं हैं। साल 1980 के दशक में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के साथ और इसके साथ 2004 से 2014 तक डॉ.मनमोहन सिंह के साथ काम करते हुए उन्होंने कभी कोई वेतन नहीं लिया था। इतना ही नहीं अपने 83 साल की जीवन में कभी भी भारत या किसी दूसरे देश में न रिश्वत न दी है और न ली है।
14 साल पहले हो गई थी लीज खत्म,नहीं छोड़ा कब्जा
बता दें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने साल 1996 में मुंबई में एक संगठन FRLHT पंजीकृत किया था। उसी साल कर्नाटक के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से 5 हेक्टेयर करीब 12.35 एकड़ जंगल की जमीन येलहंका के पास जारकाबांडे कावल में उन्हें पांच साल के लिए लीज पर दी गई थी। इसके बाद 2001 में लीज की अवधि को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया था। दस साल बाद 2011 में लीज समाप्त हो गई। लेकिन सैम पित्रोदा और उनके सहयोगी वन विभाग की इस जमीन पर अब भी अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त वन विभाग की इस जमीन पर बगैर परमिशन के बिल्डिंग का भी निर्माण किया गया। इस जमीन की कुल कीमत करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है।
FIR में एक सेवानिवृत्त IAS का भी नाम शामिल
ED के साथ लोकायुक्त पुलिस संगठन ने जिन लोगों के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया गया है, उनमें सैम पित्रोदा के अतिरिक्त उनके NGO के सहयोगी दर्शन शंकर ही नहीं वन विभाग के सेवानिवृत्त IAS जावेद अख्तर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह और संजय मोहन और बेंगलुरु शहरी डिवीजन उप वन संरक्षक एन रवींद्र कुमार के अतिरिक्त एसएस रविशंकर के नाम शामिल हैं।
रिसर्च के नाम पर ली थी जमीन
बीजेपी नेता रमेश की ओर से शिकायत में बताया कि FRLHT ऑर्गेनाइजेशन ने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय जड़ी और बूटियों के संरक्षण, उन पर रिसर्च के लिए रिजर्व वन क्षेत्र की जमीन को लीज पर देने का अनुरोध किया था। ऐसे में वन विभाग ने 1996 में बेंगलुरु स्थित येलहंका के पास जरकबांडे कवल में बी ब्लॉक में उन्हें करीब 12.35 एकड़ आरक्षित वन भूमि को लीज पर दे दिया गया। जिस पर लीज दिसंबर 2011 में ही खत्म हो गई थी, लेकिन लीज को आगे नहीं बढ़ाया गया।