कर्नाटक चुनाव में बंपर जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस प्रयास को पलीता लगा दिया है। जिसके तहत वे आगामी 12 तारीख को विपक्षी दलों का जमावड़ा पटना में करने की योजना पर काम कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बदली हुई परिस्थिति में विपक्षी दलों को राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के छतरी तले लाने के प्रयासों में जुट गया है। उसी रणनीति के तहत नीतीश कुमार के विपक्षी एकता के बड़े समारोह से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया है।
नीतीश ने अपने मन से तय की थी बैठक
कांग्रेस पार्टी के साथ यूपीए के सबसे पुराने साथी दल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी 12 तारीख को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में व्यस्तता का हवाला देते हुए पटना पहुंचने से मना कर दिया। ऐसा नहीं कि 12 जून की तारीख नीतीश कुमार ने अपने मन से तय कर दी थी। सभी दलों के नेताओं से सहमति के बाद इस तारीख पर सहमति बनी थी। ये भी तय किया गया था बैठक में सभी विपक्षी दलों के अध्यक्ष सहित अग्रिम पंक्ति के नेता भागीदार निभायेंगे। दूसरी पंक्ति के नेताओं को भेजकर बैठक में शामिल होने की औपचारिकता निभाने के खिलाफ थे नीतीश कुमार। कांग्रेस पार्टी से अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी समेत लगभग सभी नेताओं के पटना जाने की योजना थी, लेकिन ये सब तब तय हुआ था जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थी।
पहले भी टली थी बैठक
चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने पहले 19 मई को बैठक आयेजित की थी। उस समय कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह के बहाने उसे टाला गया था और अब राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा के बहाने नीतीश कुमार को ‘ना’ कर दिया गया। हालांकि पहले ये तय था कि राहुल गांधी 10 जून को दिल्ली लौट आयेंगे। 11 जून को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक करने के बाद 12 को पटना जायेंगे। सूत्रों ने बताया कि रणनीतिकारों ने शीर्ष नेतृत्व को समझाया कि नीतीश कुमार के साथ विपक्ष्री एका का मंच साझा करने पर ये मैसेज जाएगा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी अब चलेगी ये वैसी ही गलती होगी जो गलती अरविंद केजरीवाल को पहले चुनाव के बाद समर्थन देकर कांग्रेस पार्टी ने किया था। तब दिल्ली में सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी को सीटें कम पड़ रही थी और कांग्रेस पार्टी के समर्थन ने पहली बार दिल्ली में केजरीवाल ने सरकार का गठन किया था।
मैसेज देकर किया मना
आज दिल्ली में कांग्रेस के वोट बैंक के सहारे केजरीवाल की पार्टी सशक्त हो रही है, कांग्रेस कमजोर हुई है। कहीं वैसा ही हाल राष्ट्रीय राजनीति में नीतीश कुमार को ताकत देकर कांग्रेस पार्टी का न हो जाए? सूत्रों ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व ने इस बात को समझा तभी नीतीश कुमार की बैठक में भागीदारी निभाने से सीधे मना करने के बजाय ये मैसेज भेजा गया कि एआईसीसी के महासचिव जाएंगे, जिसे स्वयं नीतीश कुमार ने मना कर दिया। तो क्या नीतीश के नेतृत्व में आगे भी विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस पार्टी शामिली नहीं होगी?
तो नीतीश विपक्ष के नेता होंगे?
इस सवाल के जवाब में उक्त नेता ने कहा कि दिल्ली में जल्द विपक्षी दलों की बैठक आहूत करने का प्रयास किया जाएगा। इशारा सीधा है कि पटना में जाकर कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व ऐसा कोई मैसेज नहीं देना चाहता जिससे ये लगे कि नीतीश कुमार विपक्षी दलों के अगले लोकसभा चुनाव में नेता होंगे! ये बात अलग है कि बैठक में शरद पवार, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव समेत अन्य नेता पटना पहुंचने को तैयार हैं मगर कांग्रेस और डीएमके ने नीतीश का खेल बिगाड़ दिया।