पश्चिम बंगाल हिंसा,आगजनी और दंगों का गढ़ बन गया है। यहां आए दिन किसी न किसी बहाने हिंसक झड़पें होती रहीं है। कभी दुर्गापूजन के बहाने भिड़े तो कभी किसी बहाने राज्य में तनाव पैदा हुआ। फिर चुनाव हों तो समझिए कोई युध्द चल रहा है। यहां बीते रोज हुए पंचायत चुनाव के मतदान में कुछ इसी तरह का नाजारा देखा गया। जहां खुले आम मतपेटियां लेकर लोग भाग रहे थे तो कोई कटृा लेकर फायरिंग कर रहा था। ऐसे में लग रहा था कि यहां कोई व्यवस्था है या सिर्फ गुंडे और मवालियों के भरोसे पर चुनाव हो रहे हैं। जिसकी जो मर्जी वो कर रहा है और कोई भी किसी की हत्या करने से नहीं चूक रहा है। सवाल ये नहीं है कि किसने किसको मारा। सवाल है कानून व्यवस्था का।
बंगाल हिंसा पर उठ रहे सवाल
राज्य में टीएमसी सरकार है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। लॉ इन आर्डर की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। राज्य निर्वाचन आयोग की जा भूमिका रही उसको लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदू अधिकारी ने गुस्से में आकर आयोग के दफ्तर में ताला जड़ दिया और गेट के सामने धरने पर बैठ गए। राज्यपाल ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर कहा कि लोग चीखते चिल्लाते रहे लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। इसी तरह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी घटना पर रिपोर्ट मांगी है।
इन इलाकों में हुआ तांडव
बता दें कि शनिवार को मुर्शिदाबाद, कूच बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया जैसे कई जिलों से बूथ कैप्चरिंग, मतपेटियों को नुकसान पहुंचाने और पीठासीन अधिकारियों पर हमले की खबरें आईं। हिंसा और झड़प में करीब डेढ दर्जन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं।
बीएसएफ ने किया एक एक खुलासा
बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल की हिंसा पर बड़ा बयान दिया है। बीएसएफ के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने कहा है कि सीमा सुरक्षा बल ने राज्य के निर्वाचन आयोग से संवेदनशील मतदान केंद्रों की जानकारी मांगी थी लेकिन 7 जून को छोड़कर किसी भी दिन की कोई जानकारी नहीं दी गई। कई बार आयोग से जानकारी मांगी गई लेकिन उन्होंने सीमा सुरक्षा बल को कोई जानकारी नहीं दी।
मतदान केंद्र पर बलों का उपयोग नहीं किया
डीआईजी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के आदेश पर बीएसएफ की तैनाती की गई थी। चुनाव डियूटी के लिए 25 राज्यों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्य सशस्त्र पुलिस की 59 हजार टुकड़ियां पश्चिम बंगाल पहुंची थी लेकिन संवेदनशील मतदान केंद्रो पर इनका पर्याप्त उपयोग नहीं किया गया। राज्य ने केवल 4,834 संवेदनशील बूथ घोषित किए थे जिन पर सीआरपीएफ तैनात की गई थी। जबकि हकीकत यह है कि संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या ज्यादा थी।