पर्वतीय प्रदेश जम्मू कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर के रोमांचक दृश्य, ताजगी और आकर्षक आवास विकल्प इसे ही धरती का स्वर्ग कहने के लिए पर्याप्त कारण हैं। लेकिन धरती के इस स्वर्ग की सड़कें जजर्र हो गई है। जिससे आए दिन इस राज्य में सड़क हादसे हो रहे हैं। यहां सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग रही है। जम्मू कश्मीर ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो ये खुलासा होता है कि यहां रोजाना औसतन प्रदेश में छोटे बड़े 15 से 20 सड़क हादसे होते हैं। जिनमें कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं तो कई घायल होते हैं। हादसों में अब सैकड़ों लोग घायल हो गए है। जिनमें से कई जीवन भर के लिए दिव्यांग तक हो जाते हैं। ऐसा ही एक हादसा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर झज्जर कोटली के पास हुआ है। जहां यात्रियों से भरी एक बस खाई में गिर गई। जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई तो कई घायल हो गए।
- अमृतसर से कटरा के बीच खाई में गिरी बस
- हादसे में 10 की मौत,55 घायल
- जर्जर हो चुकी हैं जम्मू कश्मीर की सड़कें
- जर्जर सड़कों की वजह से हो रहे हादसे
- राज्य में हर दिन हो रहे 15 से 20 हादसे
बताया जाता है कि बस अमृतसर से यात्रियों को लेकर कटरा जा रही थी। जिसमें सवार यात्रियों में अधिकांश यात्री बिहार के रहने वाले बताए जा रहे हैं। हाईवे पर झज्जर कोटली के पास यात्रियों से भरी ये बस एक खाई में गिर गई थी। वैष्णोदेवी के दर्शन करने के लिए यात्रियों को लेकर अमृतसर से कटरा जाते समय ये हादसा हुआ है। हादसे के तत्काल बाद ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था। जिससे कई लोगों की जान बच गई। जम्मू डीसी ने हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि बस के गहरी खाई में गिरने से दस लोगों की मौत हुई है। जबकि हादसे में 55 लोग घायल हुए हैं। घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है। इन घासलों में से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। वहीं जिन लोगों को जिन्हें मामूली चोटें आई हैं उन्हें पीएचसी ले जाया गया। जम्मू डीसी ने कहा कि हादसे के पीछे की वजह का खुलासा नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि बस में करीब 75 यात्री सवार थे। उन्होंने बताया हादसे की सूचना मिलते ही सीआरपीएफ और पुलिस प्रशासन की टीम के सदस्य तत्काल मौके पर पहुंचे। जिन्होंने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया था।
जर्जर हो चुकी हैं पर्वतीय क्षेत्र की सड़कें
बताया जाता है कि पर्वतीय प्रदेश जम्मू कश्मीर की सबसे अधिक सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। जिसकी वजह से हादसे हो रहे हैं। जर्जर सड़क हादसों के कारण होते है। राज्य में रामबन, डोडा और ऊधमपुर जिले ऐसे हैं जहां सबसे अधिक घातक हादसे होते हैं। जिसकी मुख्य वजह खराब सड़क और तेज रफ्तार से वाहन को चलाना है। इसके साथ हही रांग साईड पर वाहन चलाना और ओवर लोडिंग भी हादसों की मुख्य वजह है। बिड़ंबना यह भी है कि इस राज्य में भी सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और सुरक्षित यातायात के लिए एग्जिक्यूटिव पुलिस और ट्रैफिक पुलिस केवल चालान काटने तक ही समिति है।
2022 के पहले पांच महिने में 2465 हादसे
रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि राज्य में 2022 के पहले पांच माह जनवरी से मई तक 2465 सड़क हादसे हुए थे। जिसमें 334 लोगों की जान गई। 3300 घायल हो गए। हालांकि सड़क हादसे रोकने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर यातायात नियमों के उल्लंघन के जुर्माने को कई गुना बढ़ाया गया है। वहीं ट्रैफिक पुलिस भी सख्त कार्रवाई का दावा करती है। इसके बाद भी हादसों में कमी नहीं हो रही।
नवंबर 2022 तक 742 लोगों की गई जान
आंकड़ों पर गौर करें तो 2022 में सड़क हादसों में 742 लोगों ने अपनी जान चली गई। इस दौरान कुल 5651 सड़क हादसे हुए, जिसमें 778 लोग घायल हुए थे। कश्मीर संभाग के मुकाबले जम्मू संभाग में सड़क हादसों से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं। कश्मीर संभाग के दस जिलों में 227 लोगों की जान गई थी। वहीं 551 लोगों की मौत जम्मू संभाग के दस जिलों में हुई थी। मई 2022 में सबसे ज्यादा 666 सड़क हादसे हुए थे। जिनमें 93 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सबसे ज्यादा घातक सड़क हादसे जम्मू जिले में 83 तो कठुआ में 81 और उधमपुर में 51 हादसे हुए हैं।
कठुआ में सबसे अधिक मौत
2022 के नवंबर तक सबसे ज्यादा 1033 सड़क हादसे जम्मू में हुए थे। जिसमें 90 की मौत हुई थी। कठुआ में तो 426 सड़क हादसों में करीब 91 लोगों की मौत हुई। वहीं उधमपुर में 439 सड़क हादसों में 70 लोगों की मौत और सांबा में 342 सड़क हादसों में 49 की मौत हुई थी। इसी प्रकार डोडा में 227 सड़क हादसों में 40 की मौत हो चुकी है। उधर किश्तवाड़ की बात करें तो यहां 96 सड़क हादसों में 33 लोगों की मौत हुई थी। रामबन में 247 सड़क हादसों में 39 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।