देवभूमि उत्तराखंड में इन दिनों बर्फबारी के बीच मौसम भले ही ठंडा हो लेकिन सियायत जमकर गरमा रही है। दरअसल राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता यानि यूसीसी विधेयक पेश कर दिया है। विधानसभा द्वारा इसे पारित किये जाने और अधिनियम बनने के बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
- उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी का मसौदा किया पेश
- यूसीसी लागू करन वाला पहला राज्य होगा उत्तराखंड
- विधानसभा में सीएम धामी ने पेश किया यूसीसी
- अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से दी गई छूट
- सभी धर्म की लड़कियों के विवाह के लिए समान आयु
- लड़का लड़की दोनों के लिए समान विरासत अधिकार
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पंजीकरण अनिवार्य
- बहुविवाह, हलाला, इद्दत और बाल विवाह को किया प्रतिबंधित
इससे पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लियाा कि देवभूमि उत्तराखंड के नागरिकों को समान अधिकार देने के उद्देश्य से ही विधानसभा में एक समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया जा रहा है। यह राज्य के सभी नागरिकों के लिए गर्व का क्षण है। सीएम ने लिखा उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।
बता दें पिछले हफ्ते उत्तराखंड की सरकार ने सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी की मसौदा रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली यूसीसी मसौदा समिति ने पिछले दिनों 2 फरवरी को 740 पन्नों की यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट को चार खंडों में बांटा गया था।
मसौदा प्रेश करने के साथ ही लगभग दो साल की प्रक्रिया समाप्त हो गई जो 27 मई 2022 को प्रारंभ की गई थी। समिति द्वारा रखे गए कुछ प्रमुख प्रस्तावों में बहुविवाह, हलाला, इद्दत और बाल विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। वहीं सभी धर्मों में लड़कियों के विवाह के लिए समान आयु , लड़का लड़की दोनों के लिए समान विरासत अधिकार के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए अनिवार्य पंजीकरण शामिल है। हालांकि अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से छूट दी गई है। बता दें देवभूमि उत्तराखंड में जनजातीय आबादी लगभग 3 प्रतिशत है। यह आबादी उन्हें दिए गए विशेष दर्जे के मद्देनजर यूसीसी के खिलाफ अपनी असहमति जता रही थी।
अवैध संतान भी संपत्ति की हकदार
यूसीसी के तहत अब वैध और अवैध संतान के बीच की दूरियां खत्म होंगी। यूसीसी बिल का उद्देश्य भी यही है। संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और अवैध संतान के बीच के अंतर को खत्म करना है। अवैध संबंध से होने वाली संतान को भी अब संपत्ति में बराबर के हक मिलेगा। इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को जैविक संतान के रूप में पहचान मिलेगी। नाजायज बच्चों को संबंधित दंपति की जैविक संतान माना गया है।
इसी तरह गोद लिए गए और बायोलॉजिकली रूप से जन्म लेने वाले बच्चों को भी अधिकार दिए गए हैं। समानता समान नागरिक संहिता विधेयक में गोद लिए गए बच्चे ही नहीं सरोगेसी के जरिए पैदा हुए , सहायक प्रजनन तकनीक के जरिए से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं होगा। ऐसे बचचों को अन्य बायोलॉजिकली बच्चों की तरह जैविक बच्चा माना है। उन्हें समान अधिकार दिए गए हैं।