आज से मांगलिक कार्य प्रारंभ
देवउठनी एकादशी तिथि
एकादशी तिथि समाप्त : 04 नवंबर 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट तक
एकादशी व्रत : ऐसे में उदया तिथि के आधार पर देवउठनी एकादशी व्रत 04 नवंबर को रखा जाएगा।
देवउठनी एकादशी का महत्व
तुलसी विवाह का महत्व
देवउठनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। तुलसी विवाह कराने से दांपत्य जीवन की समस्याएं भी दूर होती हैं।
देवउठनी एकादशी पूजा मुहूर्त
देवउठनी एकादशी का पूजा मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, सुबह 06 बजकर 35 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट के मध्य
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, सुबह 07 बजकर 57 मिनट से सुबह 09 बजकर 20 मिनट तक।
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 04 नवंबर, शुक्रवार, सुबह 09 बजकर 20 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक।
देवउठनी एकादशी पूजा-विधि
- देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहू्र्त में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष उनके जागने का आह्वान करें।
- सायं काल में पूजा स्थल पर घी के 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष जलाएं।
- यदि संभव हो पाए तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें।
- भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, जैसे मौसमी फल अर्पित करें।
- एकादशी की रात एक घी का दीपक जरूर जलाएं।
- अगले दिन हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।