असम में इन दिनों गैर असमिया और असम के मूल निवासियों को लेकर लेकर विवाद छिड़ गया है। दरअसल नगांव दुष्कर्म केस के बाद पिछले चार से पांच दिन में ऊपरी असम में अलग-अलग जगह बच्चियों और महिलाओं से यौन शोषण और छेड़छाड़ की कई घटनाएं सामने आई हैं। जिनमें कोई मियां यानी गैर असमी मुसलमान या फिर वो हिंदी भाषी असम के बाहर का आरोपी निकला है। ऐसे में अब स्थानीय लोग इसे अपनी अस्मिता का मुद्दा बनाका बाहरी लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
‘मियां-मुसलमानों’ को असम पर नहीं करनें देंगे कब्जा
- असम के सीएम सरमा की टिप्पणी के बाद राज्य में मचा हंगामा
- विधानसभा में कहा था सीएम ने कांग्रेस को जितना चीखना है वो चीख ले
- लेकिन असम को वे नहीं बनने देंगे ‘मियां भूमि’
- सरमा के इस बयान के बाद गरमा गई राजनीति
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि वे मियां मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे। सीएम ने राज्य विधानसभा में कहा था कि कांग्रेस को जितना चीखना है वो चीख ले, लेकिन असम को वे मियां भूमि नहीं बनने देंगे। सीएम सरमा के इस बयान के बाद असम के साथ ही देश भर में राजनीति गर्म हो गई है। मुख्यमंत्री सरमा के इस बयान के बाद कई विपक्षी पार्टियों ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। जिसमें उनके खिलाफ धर्म और जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि वे असम राज्य को मियां भूमि नहीं बनने देंगे। इसके बाद असम पुलिस का ऑपरेशन बॉन्ड शिवसागर जिले के साथ ही राज्य के सभी 10 जिलों में पुलिस ने सामुदायिक तनान फैलाने वालों की पहचान करना शुरू कर दिया है। इन लोगों के खिलाफ ऑपरेशन बॉन्ड भी शुरू किया गया है। जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 164 (1) के तहत इन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी हो रहे हैं।
सड़क पर उतरे 30 से अधिक संगठन
अब ऊपरी असम के करीब 10 जिलों में मियां और मारवाड़ी समेत हिंदी भाषी बाहरियों के खिलाफ 30 से अधिक संगठन सड़क पर उतर गये हैं। यह संगठन घर-घर जाकर दस्तक दे रहे हैं। जिसमें गैर असम के मियांओं की शनिवार तक असम छोड़ने की धमकी दी जा रही है। असम में बीर लचित सेना की इस मुहिम को राज्य के करीब 29 संगठनों का समर्थन है। इसमें स्थानीय मुस्लिम संगठनों के साथ ऊपरी असम मुस्लिम कल्याण परिषद ही नहीं असम सम्मिलित मुस्लिम परिषद का नाम भी शामिल है।
बता दें बौर लचित सेना जातीय संग्रामी सेना और अखिल असम अनुसूचित जाति चहा संस्था, ताई आहोम समेत 27 संस्था प्रतिनिधियों की नोटिस थमाए गए चुके हैं। इतना ही नहीं मुस्लिम विधायक के शिवसागर आने पर भी लगाई रोक लगाई गई है। बता दें 30 जातीय संगठनों ने कांग्रेस के एक मुस्लिम विधायक अब्दुल रशीद मंडल के शिवसागर जिले में प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। संगठन के इस बयान के बाद सड़कों पर उतरे। जिसमें कहा गया था कि असम में लोकसभा के चुनाव के बाद जिन हिस्सों में कांग्रेस ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया है। जहां एक वर्ग विशेश समुदाय को इतनी हिम्मत मिली गई कि वे अपना दबदबा कायम करने के चक्कर में है।
“मिया” बंगाली-मुसलमानों के लिए होता है कथित इस्तेमाल!
दरइसल मिया बंगाली-मुसलमानों के लिए उपयोग किये जाने वाला एक बेहद अपमानजनक शब्द है। ऐसे में पुलिस से की गई शिकायत में पिछले सप्ताह की एक घटना का भी उल्लेख किया गया है। जिसमें मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा के दौरान एक रिपोर्टर पर उसकी धार्मिक पहचान को लेकर गहरा कटाक्ष किया था।