जल गंगा संवर्धन अभियान….सीएम डॉ.मोहन यादव ने दिये ये निर्देश…. अधिकारी बढ़ाएं जनभागीदारी…प्रदेश में होगा प्राचीन बावड़ियों का जीर्णोद्धार

CM Mohan Yadav reviewed the activities of Jal Ganga Samvardhan Abhiyan

जल गंगा संवर्धन अभियान….सीएम डॉ.मोहन यादव ने दिये ये निर्देश…. अधिकारी बढ़ाएं जनभागीदारी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए है कि वे जन गंगा संवर्धन अभियान में कोई कोताही न करें। उन्होंने राज्य के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में चल रहे जल गंगा संवर्धन अभियान की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए हैं।साथ ही सीएम ने इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वालों को बधाई भी दी।

मुख्यमंत्री निवास पर हुई एक अहम बैठक में सीएम ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सभी कलेक्टर्स को जरूरी दिशा निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने उद्योग और रोजगार वर्ष 2025 से संबंधित गतिविधियों के साथ एयर एंबुलेंस सेवा के संबंध में भी अधिकारियों से चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने जल गंगा संवर्धन अभियान को लेकर दिए निर्देश

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने नर्मदा परिक्रमा पथ में आश्रय स्थलों को और अधिक बेहतर बनाने, वहां व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही नर्मदा परिक्रमा पथ के करीब 321 स्थानों की पोर्टल पर भी मैपिंग की गई। जिससे परिक्रमावासियों को ठहरने और भोजन आदि के साथ ही संतों के लिए यहां ध्यान कक्ष और कुटिया की व्यवस्था भी परिक्रमा पथ पर की है।

अभियान में अब तक करीब 21 लाख लोग की सहभागिता

राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने सभी कलेक्टर्स को जरुरी निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश में जल संरक्षण, जल को सहेजने और जल स्त्रोतों का भी संरक्षण करने के साथ नए जल स्त्रोतों का निर्माण कार्यों किये जाने में स्थानीय नागरिक भी भागीदारी पर जोर दिया। इस अभियान के तहत अब तक करीब 21 लाख लोग की सहभागिता सामने आ चुकी है। सीएम डॉ.मोहन यादव ने जल संवर्धन कार्यों में जनभागीदारी बढ़ाने के भी निर्देश अधिकारियों दिए। इस दौरान बैठक में अधिकारियों की ओर से बताया गया कि मध्य प्रदेश में खेत-तालाब योजना के माध्यम से करीब एक लाख हेक्टेयर सिंचाई सुविधा का सृजन करने में सफलता हासिल की है।

उल्लेखनीय है कि खेत तालाब निर्माण के लिए शासन की ओर से प्रति किसान 100 रूपए के व्यय पर मात्र 5 रूपए का वित्तीय भार आता है। मध्यप्रदेश में मौजूदा स्थिति में पूरे हुए करीब 23 हजार 494 कार्यों पर करीब 634 करोड़ रूपए खर्च किये गये हैं। प्रति किसान औसत लागत करीब 2.7 लाख रूपए आई है। मध्यप्रदेश में रिमोट सेंसिंग के जरिए 7 लाख कूपों की मैपिंग की जा चुकी है।

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