राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार ने बड़ा दांव चला है।सीएम अशोक गहलोत ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की एक मांग को पूरा करते हुए राजस्थान में राज्य वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन किया है। गहलोत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड के गठन से जुड़े आदेश भी जारी कर दिए हैं। जिसमें बोर्ड में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा 7 सदस्य बनाए गए हैं। बता दें वीर तेजा कल्याण बोर्ड किसान समाज की हालत का जायजा लेने के साथ ही प्रमाणित सर्वे रिपोर्ट के आधार पर किसान वर्ग के पिछड़ेपन को दूर करने से जुड़े सुझाव देगा। इस संबंध में पिछले दिनों सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत को एक चिट्टी लिखी थी। जिस पर अब अमल किया गया है।
- वीर तेजाजी की लोकदेवता के रूप में है मान्यता
- जाट समाज मानता है वीर तेजाजी को अपना आराध्य
- 5 मार्च को होगा जयपुर में जाट महाकुंभ
- जाट महाकुंभ से पहले गहलोत सरकार का बड़ा कदम
- 60 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में जाट समाज
- कांग्रेस के इस वोट बैंक में बीजेपी कर चुकी है सेंधमारी
- बीजेपी को मात देने के लिए किया बोर्ड का गठन
दरअसल राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड बनाने के पीछे सियासी फायदे की रणनीति प्रमुख कारण माना जा रहा है। जाट और उसके समकक्ष कई किसान जातियां कांग्रेस का परंपरागत वोट रही हैं। हालांकि लेकिन पिछले 20 साल में बीजेपी कांग्रेस के इस वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है।ऐसे में सीएम अशोक गहलोत ने चुनावी साल में वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन करके किसान जातियों को सियासी संदेश देने का काम किया है। वीर तेजाजी की लोकदेवता के रूप में कई राज्यों में मान्यता है। राजस्थान में मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्र में जाट वर्ग में वीर तेजाजी की मान्यता ज्यादा है। इस भावनात्मक जुड़ाव को सियासी रूप से भुनाने के हिसाब से बोर्ड बनाने को अहम माना जा रहा है।
बता दें 5 मार्च को राजधानी जयपुर में जाट महाकुंभ होने जा रहा है। ठीक इससे पहले गहलोत सरकार ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन की हर किसी को चौंका दिया है। राजस्थान के 7 जिले ऐसे हैं जहां की करीब 60 विधानसभा सीटों पर जाट समाज निर्णायक भूमिका का निर्वहन करता है। यहां जाट बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस नेता बहुत पहले से इसके गठन की मांग करते आ रहे थे। समाज के लोग भी काफी समय से इसे लेकर मांग कर रहे थे। आरएलपी मुखिया हनुमान बेनीवाल की जहां इस वर्ग पर सबसे ज्यादा नजरें हैं वहीं भाजपा भी जाट का वोट पाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का सहारा ले रही है। उनके जरिए भाजपा अपने खाते में इस वर्ग को लाना चाहेगी। ऐसे में कांग्रेस ने राज्य बोर्ड के गठन कर एक नया दांव चल दिया है। ऐसे में सियासत गरमा गई है। जाहिर सी बात है चुनावी साल में कांग्रेस सरकार की नजर राजस्था की 15 से 20 फीसदी वाले जाट समाज पर है। यह वर्ग सीधे पर राज्य की 15 जिलों में राजनीति को प्रभावित करती है।
गहलोत सरकार का यह फैसला इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी कई मौके पर सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बोर्ड के गठन की मांग उठा चुके हैं। हालांकि गहलोत सरकार में ये पहली बार नहीं हुआ है जब किसी समाज के नाम पर बोर्ड गठित किया गया हो। इससे पहले सीएम अशोक गहलोत ने ब्राह्मण वर्ग को अपने पक्ष में करने उन्हें साधने के लिए 11 फरवरी को राज्य विप्र कल्याण बोर्ड के गठन का ऐलान किया था। राजस्थान में ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों ने गहलोत के फैसले की तारीफ भी की थी। दरअसल ये फैसला इस वहज से भी खास है क्योंकि राजस्थान में ब्राह्मण वर्ग की जनसंख्या करीब 13 फीसदी से अधिक है। इतना ही नहीं यह वर्ग राज्य की 30 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालता है।
इन सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका हार जीत में निर्णायक होती है।
डोटाासरा भी कर चुके हैं बोर्ड के गठन की मांग
राजस्थान में राज्य वीर तेजा कल्याण बोर्ड के गठन के लिए कई जाट नेताओं ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा था। साल 2022 के नवंबर में सचिन पायलट और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर इस बोर्ड के गठन की मांग कर चुके थे।