अमेरिकी अधिकारियों ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसके हैकर्स ने ट्रेजरी विभाग के सिस्टम में सेंध लगाई है। कुछ कर्मचारियों के वर्क स्टेशन और दस्तावेजों तक चीन के हैकर्स ने पहुंच बनाई है। हालांकि चीन की ओर से इन सभी आरोपों को “बेबुनियाद” करार दिया है।
- अमेरिकी अधिकारियों ने लगाया आरोप
- चीन के हैकर्स ने लगाई ट्रेजरी विभाग के सिस्टम में सेंध
- कर्मचारियों के वर्क स्टेशन और दस्तावेजों तक पहुंचे हैकर्स
- चीन ने दिया आरोपों को “बेबुनियाद” करार
माना जा रहा है कि चीन की ओर से सीधे अमेरिका के खजाने पर हाथ डालने का प्रयास किया गया है। अमेरिका के अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी में यह बड़ी चौंकाने वाली बात सामने आई है। अमेरिका के अधिकारियों के अनुसार चीन के इशारों पर हैकर्स ने अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की सिस्टम में सेंधमारी की थी। कुछ कर्मचारियों के वर्क स्टेशन और अनक्लासिफाइ़ड दस्तावेजों तक पहुंच बनाने का आरोप भी लगाया है। ट्रेजरी विभाग की ओर से इस घटना को “बड़ा साइबर हमला करार दिया है। एक लेटर के माध्यम से सांसदों को इस घटना की जानकारी दी गई है।
विभाग की ओर से बताया गया है कि वह एफबीआई और दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर इस हमले की जांच कर रहा है।
हालांकि चीन की ओर से इन आरोपों को बेसलेस बताया दिया गया है। चीन ने कहा वह किसी भी प्रकार की हैकिंग का समर्थन नहीं करता है। अमेरिका ने हाल के समय में चीन पर इस तरह के हाई प्रोफाइल हमलों के कई तरह के आरोप लगाए हैं। यह कथित हमला इसी कड़ी का नया हिस्सा बताया जा रहा है।
आखिर क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की ओर से अपने पत्र में कहा यह हमला चीन स्थित एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट APT हैकर्स की ओर से किया गया। विभाग की ओर से बताया गया है कि वे एक थर्ड पार्टी की ओर से दी जाने वाली सेवाओं का उपयोग करते हैं और चीन के हैकर्स की ओर से इसी थर्ड पार्टी सर्विस में सेंधमारी कर सिस्टम में एंट्री की। अमेरिका की ट्रेजरी विभाग जिस थर्ड पार्टी की सर्विस लेता है। उसका नाम बियॉन्डट्रस्ट है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इसका काम विभाग के कर्मचारियों को रिमोट स्तर पर टेक्निकल सपोर्ट देना है। बताया जा रहा है कि यह थर्ड-पार्टी सर्विस अब ऑफलाइन कर दी गई है। विभाग की ओर से बताया गया है कि फिलहाल कोई सबूत नहीं है कि हैकर्स ने घटना के बाद किसी भी तरह के डेटा तक पहुंच बनाई है।
इस तरह हुआ अमेरिकी खजाने पर हमला?
दिसंबर में बियॉन्डट्रस्ट ने संदिग्ध गतिविधि के बारे में पता लगाया था। इसके बाद 5 दिसंबर को पुष्टि हुई। जिसमें बताया गया कि यह साइबर हमला था। 8 दिसंबर को ट्रेजरी विभाग की और से इस घटना की जानकारी दी। हैकर्स ने रिमोट एक्सेस के जरिए ट्रेजरी अधिकारियों और कर्मचारियों के वर्कस्टेशन और कुछ अनक्लासिफाइड दस्तावेजों तक पहुंच बनाई थी। हालांकि इन दस्तावेजों की प्रकृति और संवेदनशीलता के बारे में जानकारी अमेरिकी अधिकारियों ने भी नहीं दी है। ऐसे में चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता माओ निंग ने अमेरिका के इन सभी आरोपों को “बेबुनियाद” करार दिया है। माओ निंग ने कहा चीन हर प्रकार की हैकिंग का विरोध करता रहा है। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए फैलाए जा रहे झूठ का चीन पूरी तरह से खंडन करता है।
पहले भी लग चुके हैं ऐसे आरोप
वोल्ट टाइफून ने कहा अमेरिकी एजेंसियों की ओर से आरोप लगाया गया है कि यह चीनी हैकर ग्रुप महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बाधित करने की योजना तैयार कर रहा था। वहीं सॉल्ट टाइफून ने इसे एक तरह से जासूसी के लिए जिम्मेदार ठहराया। जिसमें टेलीकॉम कंपनियों पर किया गया हमला शामिल था। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की ओर से बताया गया है कि इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट 30 दिन में सांसदों के हवाले कर दी जाएगी।
प्रकाश कुमार पांडेय