छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने क्यों बताया ईडी को बीजेपी का चुनावी ‘हथियार’

Chhattisgarh Chief Minister

केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने जिस तरह गैर-बीजेपी दलों के नेताओं और मंत्रियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी है। उसने इन दोनों एजेंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल के आरोपों को मजबूती दी है। पिछले दिनों 10 प्रमुख विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में केन्द्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उनका आरोप है कि असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार विपक्ष के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। बात करें छत्तीसगढ़ की,तो यहां कांग्रेस की सरकार है और ईडी को लेकर राज्य में विवाद के साथ सियासत लगातार गरमाती रही है।अब भी आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।

क्या राजनीतिक हथियार बन गई हैं जांच एजेंसियां?

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल कहते हैं बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में ईडी का इस्तेमाल कांग्रेस सरकार को बदनाम और परेशान करने के लिए किया है। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा है कि छत्तीसगढ़ में ईडी बीजेपी के एजेंट और भस्मासुर के तौर पर काम कर रही है। दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि ईडी राज्य के संसाधनों की लूट को बचाने और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का काम कर रही है। इस पर सियासत गरमा रही है।

क्यों लगाए जा रहे हैं जांच एजेंसियों पर आरोप?

छत्तीसगढ़ में आईटी और ईडी की कार्रवाई लगातार जारी है। आईटी छापे के बाद मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में छापा मारकर कोल घोटाले को पकड़ा जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री की उपसचिव, आईएएस और कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत आधा दर्जन लोग जेल में हैं। ईडी ने कोल घोटाले से संबंधित लोगों की सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच भी की है। इसके बाद ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के पकड़ा और उसमें भी शराब घोटाले के किंगपिन अनबर ढ़ेबर समेत आधा दर्जन से ज्यादा व्यापारियों और अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री इस कार्रवाई से खुश नहीं हैं वे ईडी को छत्तीसगढ़ में बीजेपी का एजेंट और भस्मासुर करार दे रहे हैं।

किस बुनियाद पर लगाए जा रहे आरोप

दूसरी तरफ राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का कहना है कि ईडी छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट्राचारियों के खात्मे का काम कर रही है। ईडी ने राज्य में न केवल कोल घोटाला और शराब घोटाले का पर्दाफाश किया है बल्कि प्रमाणिक रूप से घोटाले के सिद्ध भी किया है और भ्रष्टाचारियों को जेल भी भेजा है। ईडी ने तो सार्वजनिक रूप से सारे तथ्य उजागर किए है और पूरे मामले को प्रमाणिक रूप से कोर्ट तक पहुंचाया है ऐसे में ईडी को बीजेपी का एजेंट कहना भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश मात्र है। भ्रष्टाचारियों के लिए ईडी भस्मासुर है तो इसमें बुराई क्या है। कांग्रेस और राज्य के मुख्यमंत्री भले ही ईडी को बीजेपी की एजेंट कहते हुए ईडी पर राजनीतिक दुर्भावनावश कार्रवाई का आरोप लगाएं लेकिन ईडी ने छत्तीसगढ़ में कोल और शराब घोटाले का पुख्ता प्रमाण के साथ पर्दाफाश किया है। यही वजह है कि न्यायालय में भी ईडी मजबूती के साथ टिकी है। यही वजह है कि गिरफ्तार अधिकारियों को इन मामलों में जमानत नहीं मिल पा रही है।

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