चंद्रयान-3 का सफर शुरु, 50 दिन बाद दक्षिणी ध्रुव के पास करेगा लैंड

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भारत ने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है। चंद्रयान-3 ने दोपहर करीब 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रमा की यात्रा शुरु की। इस यान को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच किया गया। करीब 615 करोड़ की लागत से यह मिशन तैयार किया गया। करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा।

बता दें चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग करने में नाकाम साबित हुआ था। इस बार चंद्रयान 2 मिशन में सफलता मिलती है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में भारत का नाम भी शामिल हो जाएगा। ISRO की ने अगस्त के अंत सप्ताह में चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनाई है। साथ ही उम्मीद की जा रही है कि यह मिशन भविष्य के Interplanetary अभियानों में मददगार साबित होगा। बता दें चंद्रयान 3 में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल के साथ लैंडर मॉड्यूल और रोवर शामिल है। जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए जरुरी नई तकनीक को विकसित कर प्रदर्शित करना है।
चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का उपयोग किया है। जिससे दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर सॉफ्ट लैंडिग करता है तो भारत उन देशों में पहले नंबर परहोगा जो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने में सफल हुए हैं। भारत इस तरह विश्व का पहला देश बन जाएगा।

आगे की खोज के लिए लैंडिंग महत्वपूर्ण कदम- सोमनाथ

इससे पहले इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा चंद्रयान 3 एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इसकी लैंडिंग बहुत अहम है। जब तक आप चांद पर नहीं उतरते। आप नमूने नहीं ले सकते। इंसानों को उतारा नहीं ता सकता। चंद्रमा के आधार नहीं बना सकते। लिहाजा आगे की खोज के लिए लैंडिंग बहुत महत्वपूर्ण कदम है।

ऑस्ट्रेलिया उच्चायुक्त ने दी बधाई

ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने भी भारत के साथ इसरो को इस मिशन के लिए बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा चंद्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण पर भारत और इसरो बधाई के पात्र हैं। उन्होंने क​हा ये गर्व की बात है कि ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा डीएसएन इसके लिए संचार का समर्थन कर रहा है।

मिशन चंद्रयान का ये है लक्ष्य

ISRO की माने तो वैज्ञानिक प्रमुख रुप से तीन लक्ष्य चंद्रयान-3 के जरिए पूरा करना चाहते हैं। वैज्ञानिक सबसे पहले चांद की सतह पर सुरक्षित और सुरक्षित लैंडिंग करना चाहते हैं। चंद्रयान-2 मिशन भी सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए ही था। इसके बाद ISRO वैज्ञानिक चांद की सतह पर रोवर को भी चलाना चाहते हैं। मिशन के सबसे अंत में वैज्ञानिक चांद पर विभिन्न प्रयोग करने की तैयारी में हैं। जिसके लिए कई यंत्र भेज गए। स्पेसक्राफ्ट के साथ एक खास तरह का यंत्र भेजा गया यह जो चांद से पृथ्वी को देखता रहेगा और इसके जीवन वाली विशेषताओं का अध्ययन भी इसके जरिए किया जाएगा।

पता चलेगी धरती और चांद की सटीक दूरी

सौर मंडल के बाहर ग्रहों को खोजने और उन पर भविष्य में जीवन का पता लगाने में यह अध्ययन अहम कड़ी साबित होगा। रिपोर्ट की मानें तो विक्रम लैंडर में चार पेलोड हैं। धरती पर भूकंप की ही तरह चांद पर भी कभी कभी कंपन होता है। वहां इसकी स्टडी एक यंत्र से की जाएगी। जबकि दूसरा यंत्र धरती और चांद के बीच की भी हमें सटीक दूरी की जानकारी मिल सकेगी। तीसरा यंत्र प्लाज्मा वातावरण पर अध्ययन करेगा। जबकि चौथा उपकरण यह जानकारी जुटाएगा कि चांद की सतह ऊष्मा को अपने जरिए कैसे प्रवाहित होने देती है। चांद की सतह के कंपोजिशन को समझने के लिए प्रज्ञान रोवर में लगे एक्स रे और लेजर का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब के क्षेत्र को लैंडिंग के लिए चयन किया गया है। इस क्षेत्र में छाया वाले क्रेटर हैं। जिनमें पानी अणु के रूप में होने की संभावना है।

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