निलंबित सांसदों का स्कोर 141…शशि थरूर, डिंपल यादव और सुप्रिया सुले भी हुए आउट !

राजीव गांधी के समय निलंबित हुए थे 63 सांसद

Chairman Jagdeep Dhankhar Speaker Om Birla Lok Sabha Rajya Sabha MP

संसद की सुरक्षा में चूक का मामला गरमाता जा रहा है। इसे लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से 141 सांसद सस्पेंड किये जाने के बाद से आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया ​है। असल में संसद में सुरक्षा चूक के मसले पर लोकसभा में लगातार चौथे दिन हंगामा हुआ है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने जिन सांसदों को निलंबित किया है उनमें नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल है। बड़ी संख्या में सांसदों के ​निलंबन का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले 1989 में राजीव गांधी की सरकार में भी 63 सांसदों को एक साथ निलंबित किया गया था। उस समय भी विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया था, आज भी विपक्ष इस मसले को लेकर सरकार पर चढ़ाई करते नजर आ रहा है।

1989 में हुए थे 63 सांसद निलंबित

साल 1989 में कांग्रेस के पास प्रचंड बहुमत था और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। उस समय एकबार में 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था। सभी सांसदों को एक हफ्ते के लिए संसद की कार्यवाही से निलंबित किया गया था।दरअसल ये सभी सांसद ठक्कर आयोग की रिपोर्ट पर हंगामा कर रहे थे। ठक्कर आयोग ने पूर्व पीएम स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या की जांच की थी। इसी पर जोरदार हंगामा हुआ था। इन सांसदों के निलंबन के साथ ही चार और सांसदों ने वॉकआउट भी दिया था।

2013 में निलंबित हुए 12 सांसद

इसके बाद साल 2013 में लोकसभा की तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक दर्जन भर सांसदों को 5 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था। उस समय ये सांसद आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना बनाए जाने के विरोध हंगामा कर रहे थे। इसे लेकर ही संसद में पक्ष विपक्ष में जमकर हंगामा हुआ था।

2012 में निलंबित हुए थे कांग्रेस के 8 सांसद

साल 2012 की बात करें तो तेलंगाना के मुद्दे पर ही हंगामा हुआ था। जिस पर कांग्रेस के 8 सांसदों को निलंबित कर दिया था। ये सभी सांसद तेलंगाना क्षेत्र से थे। ये अलग तेलंगाना की मांग कर रहे थे।

राज्यसभा से भी किये गये कई सांसद निलंबित

तीन सितंबर 1962 को गोदे मुरहारी को संसद के पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया था। इसके बाद 1966 की बात करें तो 10 सिंतबर 1966 को भूपेश गुप्ता और गोदे मुरहारी को एक दिन के लिए निलंबित किया गया था। 1966 में ही 25 जुलाई को भी राज नारायण और गोदे मुरहारी को एक हफ्ते के लिए निलंबित किया गया था। इसके बाद 12 अगस्त 1971 को राज नारायण को संसद से सस्पेंड किया गया। वहीं 24 जुलाई 1974 को राज नारायण को एक बार फिर संसद के पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।

खरगे का आरोप लोकतंत्र पर हमला कर रही सरकार

सांसदों के निलंबन के बाद राज्यसभा में भी जोरदार हंगामा हुआ है। इसके चलते सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में विपक्ष के 45 सांसदों को पूरे सत्र के लिए के लिए निलंबत कर दिया। सत्र के अंतिम दिन 22 दिसंबर तक ये सांसद निलंबित रहेंगे। इससे पहले 14 दिसंबर को भी लोकसभा से 13 सांसद निलंबित कर दिए गए थे। इस तरह शीतकालीन सत्र में अब तक करीब 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने सांसदों को निलंबन को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा पहले घुसपैठियों ने संसद पर हमला किया। अब केन्द्र सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। निरंकुश मोदी सरकार में सांसदों को निलंबित कर लोकतांत्रिक मानकों को डस्टबिन में फेंका जा रहा है। विपक्ष की मांग है कि गृहमंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर दोनों सदनों में बयान अपना दें और इस पर चर्चा हो।

सपा ने किया सरकार पर बड़ा हमला

संसद से एक दिन में 78 सांसदों के निलंबन को लेकर पक्ष विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हैं। इस बीच सपा ने भी सांसदों के निलंबन को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला किया है। पार्टी ने इस घटना को बेहद शर्मनाक करार दिया। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा जनता की आवाज को दबाया जाना बेहद शर्मनाक है। सपा मीडिया सेल की ओर से एक ख़बर का हवाला देते हुए केन्द्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा गया। जिसमें एक दिन में अब तक सबसे ज्यादा 78 सांसदों के रिकॉर्ड निलंबन को लेकर केन्द्र सरकार को कठघेरे में खड़ा किया।

इस वजह से शुरु हुआ गतिरोध

संसद की दर्शक दीर्घा से दो युवकों ने कूदकर सदन में जब आतंक मचाया तो देश भर में इसे लेकर प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने धुआं करने वाले बम जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। संसद परिसर में भी इसी तरीके की वारदात की गई। संसद में हमले के आरोप में छह आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जो आरोपी हैं, उन्होंने महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है। आरोपियों का कहना है कि सरकार की असंवेदनशीलता के कारण उन्हें इस तरह का सहारा लेना पड़ रहा। ये सभी आरोपी भगत सिंह फैन क्लब के सदस्य हैं। यह माना जा रहा है कि उन्होंने वर्तमान सरकार की ओर से जिस तरह से युवाओं की उपेक्षा की जा रही है। महंगाई और बेरोजगारी को लेकर उन्हें सरकार की ओर से चिढ़ाया जा रहा है। सरकार बार-बार कह रही कि महंगाई और बेरोजगारी जैसी कोई समस्या नहीं है। इससे नाराज होकर युवाओं ने भगत सिंह का पथ अपनाते हुए यह प्रदर्शन किया है। ईश्वर की कृपा है, कि कोई ऐसी घटना नहीं घटी। जिसमें जान माल का नुकसान हुआ हो। लेकिन संसद के अंदर इस तरीके की आतंकी घटना को कभी स्वीकार नहीं की जा सकता है। विपक्ष जहां गृहमंत्री से इस मामले में बयान देने की मांग पर अड़ा हुआ है।

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