नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वर्ष 2023-24 के लिए बजट (Union Budget 2023) पेश किया। उन्होंने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 5वां और देश का 75वां बजट है। सीतारमण ने बुधवार को 1 घंटे 27 मिनट की स्पीच दी। उन्होंने इसमें देश को बताया कि जब पूरी दुनिया कोरोना और युद्ध के चलते मंदी की राह पर है, तब भारत की ग्रोथ बाकी देशों के मुकाबले मजबूत है।
वर्तमान में आम बजट में ही भारतीय रेलवे के लिए भी घोषणाएं हो जाती हैं। हालांकि, 2017 से पहले भारतीय रेलवे के लिए अलग से रेल बजट पेश होता था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 92 साल पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया। उन्होंने साल 2017 से रेलवे बजट की घोषणाएं भी आम बजट में ही करनी शुरू कर दी थी।
- निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, हमने यह सुनिश्चित किया कि 28 महीनों के लिए 80 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति करने की योजना के साथ कोई भी भूखा न सोए
- उन्होंने कहा व्यक्तिगत कर में मोदी सरकार ने नौकरीपेशा वर्ग को बड़ी राहत दी है और अब नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख तक की सालाना आय टैक्स-फ्री हो गई है
- यह छूट पहले 5 लाख तक थी और पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर छूट की सीमा अब 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख तक कर दी गई है
मध्यम वर्ग पर निशाना
- वित्त मंत्री ने बजट में नया आयकर स्लैब पेश किया है
- अभी तक 5 लाख रुपये तक आमदनी पर कोई आयकर नहीं देना पड़ता था. लेकिन अब इस कैप को सरकार ने बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक कर दिया है
- व्यक्तिगत आयकर की नई टैक्स दर 0 से 3 लाख रुपये तक शून्य, 3 से 6 लाख रुपये तक 5%, 6 से 9 लाख रुपये 10%, 9 से 12 लाख रुपये तक 15%, 12 से 15 लाख रुपये तक 20% और 15 लाख से ऊपर 30% रहेगी
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पर्यटन पर है खास नजर
निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 की प्रस्तुति के दौरान कहा, ‘पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम किया जाएगा’। उन्होंने कहा कि अमृत काल के लिए हमारे विजन में प्रौद्योगिकी संचालित और ज्ञान आधारित मजबूत सार्वजनिक वित्त और एक मजबूत वित्तीय अर्थव्यवस्था शामिल है।इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘सबका साथ, सबका प्रयास’ के माध्यम से ‘जनभागीदारी’ आवश्यक है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉक्टर सूर्यभूषण इस बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ठीकठाक बताते हैं। वह कहते हैं कि इसमें चुनावी साल को देखते हुए मध्यम वर्ग को लुभाया गया है, तो सभी के लिए कुछ न कुछ रखा गया है। सरकार ने कोशिश की है कि किसी को एंटागनाइज न किया जाए, रुष्ट न किया जाए। यह अमृत काल का पहला बजट लोक कल्याणकारी दिखता है।
यह बजट गरीब किसानों, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, वंचितों, आर्थिक रूप से पिछड़े, मध्यम वर्ग को सशक्त और सक्षम बनाने वाला बजट है। यह बजट बच्चों की पढ़ाई, मध्यम वर्ग की कमाई और बुजुर्गों की भलाई पर बल देने वाला है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर होनेवाला कुल मद का पैसा अगर बढ़ता तो और भी बेहतर होता।
विपक्ष ने की खिंचाई
हमेशा की तरह विपक्ष ने इस बजट को दिशाहीन बताया। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का बजट कब किसी को कुछ देता है, जो इस बार देगा। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बजट को निल बटा सन्नाटा बताया तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस पर विशेषज्ञों की राय लेकर ही कुछ बोलेंगे।