दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में सोमवार को ब्रिक्स समूह देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों यानी एनएसए की एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई। जिसमें भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने अपने संबोधन में साइबर सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों से एकजुटता से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानकारी के मुताबिक उन्होंने इस बैठक में यह भी कहा कि वैश्विक दक्षिण को विशेष रूप से संसाधनों की सीमाओं पर काबू पाने की आवश्यकता है। इस प्रयास में भारत ग्लोबल साउथ के साथ मिलकर काम करने में हमेशा आगे रहेगा। बैठक के दौरान साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।
कई देशों ने लिया हिस्सा
ब्रिक्स समूह ने इस बैठक को फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स मीटिंग का नाम दिया था। जिसमें भारत के अलावा चीन, रूस, यूएई, मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, बेलारूस, क्यूबा और कजाकिस्तान ने सुरक्षा सलाहकारों ने भाग लिया। यहां बता दें कि अगले महीने दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में होने वाले ब्रिक्स राष्ट्रप्रमुखों के शिखर सम्मेलन से पहले समूह देशों के एनएसए की यह अहम बैठक हुई है। एनएसए अजीत डोभाल ने इस बैठक से इतर अपने कई मित्र देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की। जिसमें साझा हितों से जुड़े हुए मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर व्यापक आधार पर चर्चा की गई।
युवा आबादी को बताया संवेदनशील
डोभाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी विघटनकारी तकनीक के आगमन के साथ ही साइबर जोखिमों की गंभीरता तेजी से बढ़ेगी। डोभाल ने साइबर अपराधियों और आतंकवादियों के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला। जिसमें वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग, कट्टरपंथीकरण, भर्ती और सुरक्षित संचार के लिए साइबर स्पेस का उपयोग शामिल है। युवा आबादी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह सोशल मीडिया साइटों के उपयोग के माध्यम से चरमपंथी un विचारधाराओं के प्रसार के प्रति संवेदनशील थी। क्योंकि वे तकनीक प्रेमी हैं और प्रभावशाली दिमाग रखते हैं।