भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर किसका अधिकार,असम के सीएम का दावा हमारे राज्य में है छठा ज्योतिर्लिंग, विपक्ष क्यों हुआ विचलित, क्या है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की सत्यता

Bhimashankar Jyotirlinga

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि भारत का छठा ज्योतिर्लिंग असम के कामरुप जिले की डाकिनी पहाड़ी पर स्थित है। इसके साथ ही असम के पर्यटन विभाग ने एक विज्ञापन जारी कर इस बार महाशिवरात्रि पर लोगों से डाकिनी पहाड़ी पर स्थित मंदिर के दर्शन करने की अपील की है। पर्यटन विभाग ने अखबार पर फुल पेज के अपने विज्ञापन में लिखा है भारतवर्ष के छठे ज्योतिर्लिंग स्थल कामरूप के डाकिनी पहाड़ में आपका स्वागत है। इस विज्ञापन में शिव पुराण का उल्लेख किया भीमशंकर की कथा भी बताई है। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की तस्वीर के साथ अपील की गई है। जिसमें कहा गया है कि प्राकृतिक सुंदरता के बीच भीमशंकर ज्योतिर्लिंग पवित्र स्थान पर आएं। इसके बाद से कांग्रेस और महाराष्ट्र के विपक्षी दल विचलित नजर आ रहे हैं। असम सरकार के विज्ञापन के दावे पर महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है।

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने किया सवाल

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने ट्वीट करते हुए लिखा है ‘क्या बीजेपी ने महाराष्ट्र के उद्योग-धंधों को छीनने के बाद क्या अब सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने को छीनने का निर्णय लिया है। पुणे इस ज्योतिर्लिंग के लिए जाना जाता है। जहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बीजेपी शासित राज्य में गुवाहाटी के पास पमोही को छठा ज्योतिर्लिंग प्रचारित किया जा रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हमारी आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए तत्काल ध्यान दें। दरअसल भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। ज्योतिर्लिंग के पास भीमा नदी बहती है, जो सह्याद्रि पर्वत के पास है। ऐसी मान्यता काफी लंबे समय से है। लेकिन असम सरकार का दावा है कि देश का छठवां ज्योतिर्लिंग स्थल कामरूप के डाकिनी पहाड़ पर स्थित है। सुले ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को भी ट्वीट में टैग करते हुए आपत्ति जताई है। सुप्रिया सुले ने आदि शंकराचार्य के बृहद रत्नाकर स्तोत्र का जिक्र करते हुए कहा है कि असम की बीजेपी सरकार जो कर रही है, उसका न तो कोई आधार है और न ही इसे स्वीकार किया जा सकता है।

क्या आपने पढ़ी है भीमाशंकर की पौराणिक कथा

शिवपुराण में उल्लैख है कि रावण के भाई कुंभकर्ण का भीम नाम का पुत्र था। पिता की मृत्यु के बाद उसका जन्म हुआ था। उसे अपने पिता की मृत्यु भगवान राम से होने का पता नहीं था। जब अपनी माता से उसे इसका पता चला तो ब्रह्माजी की तपस्या कर विजयी होने का वरदान मांगा। वरदान मिलने के बाद वह अत्याचारी हो गया। युद्ध में उसने देवताओं को भी हरा दिया। इसके बाद देवता भगवान शिव के पास गए। भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। बाद में अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने र्क वर्षों तक कठोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भी भयभीत रहने लगे। धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया। उसने सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए। अत्यंत परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। लड़ाई में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस को राख कर दिया और इस तरह अत्याचार की कहानी का अंत हुआ। भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हैं। भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचना मिलती है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का उल्लैख मिलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस ने 18वीं सदी में बनाया था। बताया जाता है मराठा शासक शिवाजी ने मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की थी।

भीमाशंकर की ये है विशेषता

नाना फड़नवीस की ओर से बनाए गए हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमाशंकर की एक विशेषता है। अगर आप यहां जाएं तो आपको हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक जैसे स्थानों का दौरा करने का मौका मिल सकता है। भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित है जहां पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधों की भरमार है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं। भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।

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Shivratri से पहले भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग पर विवाद

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