अतीक ने बेटे असद को बचाने के लिए चले हैराने करने वाले कई दांव
कोई कितना ही बड़ा डॉन या माफिया क्यों न हो,लेकिन जिगर का टुकड़ा कहा जाने वाला बेटा उसे भी प्यारा होता है। वो भी चाहता है कि उसका बेटा सुरक्षित रहे। यही कारण है कि माफिया अतीक अहमद ने अपने बेटे असद को बचाने के लिए एक नहीं कई दांव चले। इसके बाद भी कानूनी हाथ उसके गिरबान तक पहुंच ही गए। जिसका परिणाम ये हुआ कि असद को यूपी एसटीएफ ने झांसी के पास बड़ागांव में ढेर कर दिया।
– असद और शूटर गुलाम ने नहीं छोड़ा एक दूसरे का साथ
– इधर असद गोलियां दाग रहा था उधर कोई और उसके एटीएम से शॉपिंग कर रहा था
– फायनेंशिल मदद करने वाले भी पुलिस की गिरफ्त में
– बचाव के लिए बनाया गया था पूरा रोडमैप
– पुराने रिश्तों को बनाया था सहारा
बेटे को न्यायालय में निर्दोष सावित करना चाहता था अतीक
जेल में बंद अतीक ने अपने बेटे को कानूनी शिकंजे के बचाने के लिए कई दांव पेंच चले थे। जिसके
चलते उसने असद का एटीएम और मोबाइल किसी और को सुपुर्द करवा दिए थे। ताकि न्यायालय में साबित किया सके कि उसका बेटा उमेश पाल की हत्याकांड में शामिल नहीं था। वजह यह थी कि जब असद प्रयागराज में उमेश पाल पर गोलियां दाग रहा था तब असद का एटीएम और मोबाइल लखनऊ में
कोई और ऑपरेट कर रहा था। ऐसे में यदि असद पकड़ा जाता तो प्रमाण के तौर पर मोबाइल और एटीएम के सहारे यह साबित करने की कोशिश होती कि असद घटना के वक्त लखनऊ में मौजूद था। मीडया रिपोर्ट के मुताबिक असद के मोबाइल से यूपीआई पेमेंट किए जा रहे थे तो कभी शॉपिंग के दौरान उसी से ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा था। साथ ही कई बार एटीएम से पैसे भी निकाले गए। बता दें इसके पहले अतीक के एटीएम और मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे उसके मित्र को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।
असद को बचाने के लिए बनाया था रोडमैप
असद को बचाने के लिए माफिया अतीक ने पूरा रोडमैप तैयार किया था। जिसके तहत अतीक ने अपने पुराने रिश्तों को भुनाना शुरु कर दिया था। असद की फरारी के दौरान कहां से फायनेंशिल मदद मिलेगी और कौन सहयोग करेगा? ऐसी तमाम तैयारियां की गईं थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली तक में मददगारों की फेहरिश्त तैयार की गई थी। असद की मदद के लिए लगाई गईं पूरी टीम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सहयोग करने में जुटी हुईं थीं। बताया जा रहा है कि फरारी के दौरान असद ने कई शहरों में शरण ली और दिल्ली में लगभग एक पखवाड़े तक असद ने ढेरा डाले रखा। इस दौरान लगातार मोबाइल और सिम भी बदलता रहा। ताकि लोकेशन की जानकारी न मिल सके। जैसे ही असद को एसटीएफ के आने की जानकारी मिली उसने तत्काल अपनी लोकेशन बदलना शुरु कर दिया। दिल्ली से लेकर मेरठ तक जितने लोगों ने असद की मदद की थी एसटीएफ ने उनको गिरफ्तार कर लिया।
पहली बार अतीक के परिवार के सदस्य का एनकांउंटर
अतीक और उसके परिवार का अतंक कई सालों तक चलता रहा। ये पहला मौका है जब कानून से खेलने वाले अतीक के परिवार के किसी सदस्य का एनकाउंटर हुआ है। परिवार का एक भी सदस्य ऐसा नहीं है जिस पर आपराधिक मामले दर्ज न हों। कभी समाजवादी पार्टी के बेहद करीबी रहे अतीक को कहीं न कहीं राजनैतिक संरक्षण मिलता रहा है। पुलिस भी अतीक के नाम से भयभीत थी।
असद बदल रहा था ठिकाने
उमेश पाल हत्याकांड के बाद फरार हुए असद और दूसरा शूटर गुलाम हसन एक साथ ही फरारी काटते रहे। इस दौरान उन्हांने लगातार ठिकाने बदले। असद और गुलाम जहां भी जा रहे थे दोनों साथ ही थे। और अंतिम समय में भी साथ ही रहे। बताया जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम और एक अन्य शूटर कानपुर के बाद अन्य शहरों के लिए रवाना हो गए। जबकि असद और गुलाम ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। इसके बाद झांसी में दोनों को एसटीएफ ने एक साथ ढेर कर दिया।